कम पैसे से शुरू करें दलिया बनाने का कारोबार | Porridge/Daliya Making Business with Low Investment hindi

दलिया बनाने का कारोबार (Porridge/Daliya Making Business): दलिया जिसे अंग्रेजी में Porridge भी कहा जाता है, एक सुपरफूड है, जिसमें कई स्वास्थ्यकर लाभ होते हैं। यह एक पूर्ण अनाज है जो गेहूं के दानों को तोड़कर दरदरा बनाया जाता है। अनेक तरह के पोषणों से भरपूर दलिया सदियों से हम इंसानों की विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से लाभ प्रदान कर रहा है।

आर्थिक एवं व्यवसायिक पक्ष का आंकलन करने पर वर्तमान में दलिया बनाने का कारोबार एक सफल और मुनाफे का सौदा भी है। बशर्ते दलिया बनाने के कारोबार के business plan को गहनता से समझकर अपनाया जाये, और इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ लघु उद्योग: दलिया बनाने के कारोबार के बारे में विस्तृत चर्चा करने जा रहे हैं,

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आशा करते हैं यदि आप सदाबहार चलने वाले ऐसे कारोबार की तलास कर रहे हैं तो दलिया बनाने का कारोबार आपके लिए एक मुनाफे का कारोबार साबित हो सकता है। चलिए शुरू करते हैं-

दलिया बनाने का कारोबार की स्थापना (Establishment of Porridge/Daliya Making Business)-

दलिया निर्माण इकाई (Porridge/Daliya Making Business Unit) के बिजनेस को स्थपित करने के लिए आपको कम से कम 500 से 800 वर्ग फुट स्थान की आवश्यकता होगी। यह स्थान बाजार के निकट भी स्थापित हो सकता है। सभी मशीनों के स्थान निर्धारित होने के साथ कच्चे व तैयार माल को सुरक्षित रखने के स्थान भी निर्धारित हों। साथ ही इस स्थान पर बिजली पैनल, पानी और कूड़ा निस्तारण आदि की उचित व्यवस्था का होना भी अनिवार्य है।

दलिया बनाने के लिए अनाजों का चयन (Selection of grains for making daliya/porridge)-

अमूमन पारंपरिक दलिया बनाने के लिए गेहूं का उपयोग किया जाता है, आप जानते ही हैं कि गेहूं का आटा हमारे पोषण का सबसे महत्वपूर्ण घटक है, किन्तु मौजूदा समय में वैराइटी के आधार पर बाजार में कई प्रकार अनाजों से बना दलिया भी देखने को मिलता है। चूँकि दलिया एक सुपर फूड है, इसलिए दलिया बनाने के लिए भी सुपर अनाजों की जरूरत होती है।

आधुनिक दौर में मल्टीग्रेन आटे की तर्ज पर मल्टीग्रेन दलिया (जिसमें ज्वार, अलसी, तिल, मक्का व कोदई आदि अनाज) भी बाजार में आसानी से बिक्री किया जाता है। हालाँकि मल्टीग्रेन दलिया और साधारण दलिया दोनों का काम एक ही है, लेकिन मार्केटिंग और बिजनेस ग्रोथ की दृष्टी से उत्पाद का विकास व नयापन देना भी आवश्यक है।

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दलिया के फायदे (Benefits of daliya/porridge)-

  1. उच्च पोषक मूल्य: दलिया में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स, और खनिजों की अच्छी मात्रा होती है। इसमें विटामिन बी, फॉलेट, आयरन, मैग्नीशियम, और फॉस्फोरस जैसे पोषण से भरपूर तत्व होते हैं। जो हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म को मजबूत बनाते हैं।
  2. वजन नियंत्रण में उपयोगी: दलिया फाइबर से भरपूर होता है जो आपको भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है जिससे वजन को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
  3. उच्च फाइबर कंटेंट: दलिया में फाइबर की अच्छी मात्रा होने के कारण, यह शरीर के पाचन को सुधारने के साथ कब्ज से भी राहत प्रदान कर सकता है।
  4. डायबीटीज कंट्रोल: दलिया का नियमित सेवन करने से इंसुलिन के स्तर को संतुलित रखने में मदद मिलती है, जिससे डायबीटीज को कंट्रोल करना भी संभव हो पाता है।
  5. स्वास्थ्य का समर्थन: दलिया में मौजूद एंटीओक्सीडेंट्स और विटामिन्स शारीरिक स्वास्थ्य एवं शारीरिक बलिष्टता को बनाए रखने में मदद करते हैं जिससे शरीर रोगों से मुक्त/सुरक्षित होने के साथ इम्यून सिस्टम भी मजबूत बनता है।
  6. शारीरिक ऊर्जा का स्रोत: दलिया हमारे शरीर के लिए एक सर्वश्रेष्ठ उर्जा स्रोत है, दिनभर की विभिन्न गतिविधियों के लिए जिस ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे दलिया बड़ी ही सरलता से प्रदान कर सकता है।

इसके अलावा, दलिया को आज अनेक तरीकों से बनाया जाता है, मसलन- दलिया की खिचड़ी, दलिया उपमाऔर दलिया पुलाव आदि। इसे अपनी आहार में शामिल करके आप स्वास्थ्य के लाभ उठा सकते हैं।

दलिया कारोबार की बढ़ती मांग (Increasing demand for porridge/daliya business)-

आप जानते ही हैं कि कोई भी कारोबार की मांग तब बढ़ती है, जब सम्बंधित उत्पाद की मांग बाजार में दिन प्रति दिन बढ़ती जाये। ठीक यही चीज आज दलिया जैसे सुपर फूड के साथ हो रहा है। लगातार बढ़ती महामारियों के दौर में आज हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहने के प्रयास में लगा है। हर प्रकार की बीमारी से मुक्त रखने के लिए प्रत्येक मनुष्य आज उत्तम और पौष्टिक गुणवत्ता की खाद्य सामग्री उपयोग में लेने के लिए आतुर है।

ऐसे में दलिया जैसा पौष्टिक और सुपर फूड आज हर वर्ग के उपभोक्ताओं/हर घर की पहली पसंद बन चुका है और हो भी क्यों न क्योंकि सुपर फूड होने के साथ-साथ दलिया मौजूदा मार्केट में काफी सस्ते दामों पर भी उपलब्ध है। सुबह-सुबह के नाश्ते में दलिए का सबसे अधिक उपभोग किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार सुबह का पौष्टिक नाश्ता दिन भर शरीर को ऊर्जा देने में सहायक होता है। भारत सरकर द्वारा विभिन्न योजनाओं एवं आँगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से भी दलिया जैसे खाद्य पदार्थ को मुफ्त में वितरित किया जाता है, ताकि बच्चों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व कैलोरी आदि की कोई कमी न हो।

दलिया बनाने के कारोबार का पंजीकरण (Registration)-

दलिया बनाने का कारोबार (Daliya Making Business) शुरू करने के लिए आपको इन लाइसेंसों को लेना जरूरी है-

  1. ROC (Registrar of Companies)
  2. MSME Registration (सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योग पंजीकरण)
  3. GST Registration (जीएसटी पंजीकरण)
  4. Trade License (ट्रेड लाइसेंस)
  5. Trademark License (ट्रेड मार्क लाइसेंस)
  6. FSSAI License (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण पंजीकरण)
  7. IEC Code (आईईसी कोड)- यदि आप निर्यात करना चाहते हैं तो आईईसी कोड लेना अनिवार्य है।

छोटे स्तर पर या घर से शुरू करने के लिए आप केवल FSSAI License व भारत सरकार द्वारा विकसित किये गए उद्यमी पोर्टल MSME पर अपने व्यापार की लागत के अनुरूप सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग अंतर्गत किसी एक श्रेणी में पंजीकरण करा सकते/सकती हैं,

साथ ही आपको टैक्स आदि के लिए GST No भी लेना अनिवार्यहै। भविष्य में जब आपका कारोबार बढ़ेगा, आपको बाकी के पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

दलिया बनाने के कारोबार में मशीनरी (Machinery for Daliya Making)-

दलिया बनाने का कारोबार शुरू करने के लिए इच्छुक उद्यमी को —- मशीनों की आवश्यकता होती है-

  1. अनाज साफ करने की मशीन
  2. अनाज कूटने की मशीन (पल्वराइजर एवं क्रशिंग)
  3. छटाई मशीन (सेपरेशन यूनिट)
  4. डिजिटल तराजू
  5. पैकेजिंग मशीन (बोरी सिलने व पाउच सील करने के लिए)
  6. वैक्यूम शकशन मशीन (पैकिंग के भीतर दलिया की सडन आदि को रोकने के लिए)

इलेक्ट्रिकल उपकरण-

  1. Power पैनल
  2. DG सेट आदि

नोट- छोटे स्तर पर सफलतापूर्वक दलिया बनाने का कारोबार स्थापित (Daliya manufacturing plant) व संचालित करने के लिए कम से कम 02 से 03 किलोवाट बिजली लोड की आवश्यकता होती है।

दलिया कारोबार के लिए लोन (Loan)-

प्रश्न यह है कि दलिया कारोबार स्थापित करने के लिए लोन कैसे मिलेगा? लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने मेक इन इण्डिया के तहत प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY), कौशल विकास योजना व प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)आदि के माध्यम आपको आसानी से ऋण/लोन मिल सकता है।

इसके लिए आपको अपनी कंपनी या फर्म के पंजीकरण संख्या से सरकारी योजनाओं के तहत आवेदन करना होगा। सरकारी योजनाओं के तहत लघु उद्योग हेतु ऋण/लोन लेने के लिए आप अपने क्षेत्रीय/स्थानीय सरकारी बैंक की शाखा से आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

दलिया कारोबार में मैनपावर की जरूरत (Required Manpower)-

दलिया बनाने के व्यवसाय में शुरूआती स्तर पर कम से कम 06 मैनपावर की जरूरत होती है-

  1. मशीनों को आपरेट करने में केवल 01 मैनपावर लगती है, 
  2. यदि पैकिंग आदि का कार्य मैनुअल तरीके से करते या कराते हैं तो 03 मैनपावर की जरूरत लगती है। 
  3. तैयार उत्पाद की मार्केटिंग के लिए 01 मैनपावर (मार्केटर)
  4. कार्यस्थल की सफाई आदि व तैयार उत्पाद को सुव्यवस्थित रखने के लिए 01 मैनपावर

दलिया बनाने की विधि (Process of Making Daliya/Porridge)-

दलिया बनाने की विधि बहुत ही आसान एवं लगभग सभी के लिए एक सरल प्रक्रिया है। नीचे दिए गए चरणों में इसे समझें-

  1. सबसे पहले रॉ मटेरियल की धुलाई, सफाई कर उसे अच्छे से तेज धूप अथवा ओवन/भट्टी के माध्यम से सुखाया जाता है।
  2. इसके बाद सूखे हुए कच्चे माल को अनाज कूटने की मशीन (पल्वराइजर एवं क्रशिंग) के हॉपर में डालकर निर्धारित मात्रा में कच्चे माल को दरदरा किया जाता है।
  3. दरदरा हो जाने के बाद तैयार उत्पाद को सेपरेशन मशीन के माध्यम से दानों के आकार के मुताबिक अलग-अलग छंटाई की जाती है।
  4. छंटाई हो जाने के बाद हमारा वांछित उत्पाद “दलिया” उपयोग में लिए जाने को तैयार हो जाता है।
  5. इसके बाद तैयार उत्पाद को निर्धारित अथवा वांछित पैकिंग में पैक कर बाजार में advertisement तथा बिक्री के लिए भेज दिया जाता है।

सैंपल और क्वालिटी टेस्ट (Sample & Quality Test)-

अपने उत्पाद को पूरी तरह से complete करने के बाद इसकी गुणवत्ता की टेस्टिंग के लिए उत्पाद के सैंपल को Quality Test कराना होता है, इसके लिए आप अपने जिला मुख्यालय के भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India- FCI) की शाखा सेसंपर्क कर सकते हैं। जहां से हरी झंडी मिलने के बाद आप अपना उत्पाद मार्केट/बाजार में उतार सकते हैं।

प्रतिस्पर्धी को पहचानना (Identify your Competitor)-

जब आप अपने उत्पाद को बाजार/मार्केट में उतरेंगे तो बाज़ार में आपको पहले से ही आपके उत्पाद के प्रतिस्पर्धी मिलेंगे। हो सकता है कि यह आपको कभी-कभी हतोत्साहित कर सकता है लेकिन इससे घबराने की बात नहीं है आपको अपने प्रतिस्पर्धी को चुनना होगा और अपने उत्पाद को बेहतर से बेहतर बनाना होगा।

जब आप अपने प्रतिस्पर्धी को चुन या पहचान लेते हैं तो आपको एक मकसद मिल जाता है और आप अपने मकसद को पूरा करने के लिए पूरी तन्मयता से लग जाते हैं। यही एक सफल व्यापारी का लक्षण होता है कि वह अपने मकसद, अपने लक्ष्य को समर्पित होता है।

मनोविज्ञान के अनुसार भी यह बात पूरी तरह से सिद्ध हो कि “जब हम किसी से competition करना शुरू करते हैं, तो हमारा दिमाग सामान्य की अपेक्षा तेज गति से कार्य करने लगता है, और हमेशा नए-नए विचार उत्पन्न करने लगता है। जिससे हमारी कार्य क्षमता (productivity) बढ़ जाती है।”

मूल्य निर्धारण (Price Determination)-

किसी भी नए उत्पाद को बाजार में बिक्री करने के लिए सबसे अहम भूमिका निभाता है उसका मूल्य। यह सार्वभौम सत्य है क्योंकि आज खासकर कोरोना काल के बाद लगभग कई देशों में मंहगाई बढ़ चुकी है जिसका असर कुछ हद तक हमारे देश भारत पर भी पड़ा है। 

इसलिए बाजार को देखते हुए आप अपने उत्पाद का मूल्य बाजार में मौजूद अन्य उत्पादों की अपेक्षा कुछ कम ही रखें लेकिन उत्पाद की गुणवत्ता से कोई समझौता न करें, बेहतरीन गुणवत्ता के कारण आपका उत्पाद धीरे-धीरे मार्केट/बाजार में प्रसिद्ध होने लगेगा और जिससे आपअपने कारोबार कोछोटे से बड़े स्तर पर विस्तारित कर सकते हैं। कम मूल्य पर उत्पाद बेचने की शुरुवात आपको अपने लोकल मार्केट से ही करनी चाहिए।

व्यवसाय की कुल लागत (Total Cost of Business)-

दलिया बनाने का कारोबार बड़े ही छोटे निवेश से शुरू किया जा सकता है, छोटे स्तर पर शुरू करने के लिए कम से कम 01 लाख से 02 लाख रुपए की लागत लगती है जिसमें आपको रॉ मटेरियल, क्रशिंग मशीन, डिज़िटल वेट मशीन और पैकिंग मशीन लेना होगा। जिसे आप अपने घर से भी शुरू कर सकते हैं। 

अगर आप दलिया निर्माण के कारोबार क्षेत्र में आना चाहते हैं तो मेरी राय यही है कि आप इसे कम पूंजी लगाकर इसे छोटे स्तर पर घर से ही शुरू करें। जिससे आप भारी/अवांछित जोखिम से बच सकते हैं और छोटे स्तर पर व्यापार करने से आपको बाजार को समझने का मौका भी मिलता है। 

वहीं अगर आप इस व्यवसाय को बड़े स्तर पर करना चाहते हैं तो आपको बड़ी मशीनरी के साथ पैकिंग की मशीन (ऑटोमेटिक, सेमी-ऑटोमेटिक) और बड़ी क्षमता के तराजू (डिज़िटल वेट मशीन) आदि की जरूरत पड़ेगी इस complete setup की लागत लगभग 03 लाख से 08 लाख रूपए अथवा तैयार कराई गई मशीनों के आधार पर परिवर्तन संभावित है। जिसमें रॉ मटेरियल की क्रय दर, चयनित स्थान पर लागत, पंजीकरण शुल्क व अन्य लागत सम्मिलित नहीं है।

दलिया कारोबार के जोखिम (Business Risks)-

दलिया कारोबार में एक ही खास जोखिम होता और वह है, समय बीतने के साथ दलिया जैसी खाद्य सामग्री का ख़राब हो जाना, यदि आप छोटे स्तर पर दलिया बनाने का बिजनेस शुरू करते हैं तो यह जरूर निश्चित कर लें कि आपके उत्पाद या प्रोडक्ट की बाजार/मार्किट में खपत कितनी हो रही है, इस खपत के हिसाब से ही आप अपना माल तैयार करें।

दलिया कारोबार में मुनाफा (Profits in Business)-

मौलिक तौर पर मुनाफा शब्द एक ऐसा शब्द है जो हर किसी को एक नई प्रेरणा देता है। दलिया बनाने के कारोबार में मुनाफे की कोई सीमा तय नहीं है, दलिया जैसे सुपर फूड के बिजनेस में मुनाफा पूरी तरह से उत्पाद की गुणवत्ता और आपकी मार्केटिंग पर निर्भर करता है, मतलब आपका उत्पाद कितने घरों तक पहुँचता है।

मुनाफे की बात करें तो मार्केट पहुंच के आधार पर आप हर महीने 30,000 से 01 लाख रूपए या इससे भी ऊपर हर महीने कमाया जा सकता है।

नोट- यह संभावित मुनाफा धनराशि दलिया बनाने के लिए चुने गए रॉ मटेरियल, मशीनरी व तैयार दलिए की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है।

दलिया बनाने के अलावा दलिया मेकिंग मशीन से और क्या-क्या बनाया जा सकता है?

दलिया मेकिंग मशीन से दलिया के साथ इडली का आटा, मुर्गी दाना, मछली दाना (fish farming) व अन्य देशी अनाजों के दरदरे आटे तैयार किये जा सकते हैं। इससे सम्बन्धित 12 unique business ideas को भी एक्सप्लोर करें।

दलिया का कौन सा फ्लेवर सबसे ज्यादा खाया जाता है?

यह प्रश्न उपभोक्ता के स्वाद व रूचि पर निर्भर करता है, कुछ को मीठी तो कुछ को नमकीन दलिया पसंद आती है। वैसे दूध में बनी मीठे स्वाद वाली दलिया लगभग सभी आयु वर्ग विशेषकर बच्चों में सबसे अधिक पसंद की जाती है।

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अंत में-

बड़े-बुजुर्गों के मुंह से भी आपने कभी न कभी तो सुना ही होगा कि सुबह की स्वस्थ्य खुराक दिन भर देह में रौनक बनाये रखती है। इस सकारात्मक तथ्य की गहराई को ध्यान में रखते हुए दलिया हमारे लिए बहुत ही जरूरी भोजन है, और इसका व्यवसाय (Porridge/Daliya Making Business) स्थापित करना एक सदाबहार चलने वाला बिजनेस है, साथ ही इससे लम्बे समय तक अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है।

नोट- किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले बाजार/मार्केट रिसर्च एवं खपत का आंकलन अनिवार्य रूप से अवश्य करें। ऐसा करने से आपको व्यवसाय में आने वाले जोखिम और दिक्कतों का सामना करने में आसानी हो जाएगी और बाजार में डिमांड के अनुरूप आप अपने products का निर्माण भी अच्छे से कर पाएंगे।

आशा है आपको इस लेख “दलिया बनाने का कारोबार (Porridge/Daliya Making Business)” से दलिया कारोबार के बारे में विस्तृत जानकारी जरूर मिली होगी, साथ ही यदि कुछ छूट गया हो या कुछ पूछना चाहते हों तो कृपया comment box में जरूर लिखें। तब तक के लिए-

“शुभकामनाएं आपके कामयाब और सफल व्यापारिक भविष्य के लिए।”

धन्यवाद!

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