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गमले सहजन उगाने का आसान तरीका | Easy Way to Grow Moringa Plant in Pot in Hindi

सहजन उगाने (Easy Way to Grow Moringa Plant) की विस्तृत जानकारी, सहजन को कितने नामों से जाना जाता है, सहजन के औषधीय गुण, मोरिंगा ट्री किस मौसम में लगाया जाता है, कलम से सहजन (Moringa oleifera plant) लगाने का तरीका, सहजन के पोषक तत्व

सहजन का पौधा (moringa oleifera) एक सदाबहार रहने वाला पौधा/वृक्ष है, जिसमें कई औषधीय गुण होते हैं. इसकी उपयोगिता की अगर बात की जाए तो पिछले कई हजारों सालों से सहजन का इस्तेमाल फाइटोमेडिसिन बनाने व आयुर्वेदिक उपचारों में पारंपरिक रूप से किया जा रहा है. 

वहीं आज के दौर में अधिकांश बागवानी प्रेमी अपने घरों की सुदरता को बढ़ाने के लिए भी सहजन उगाने अथवा सहजन के पौधे को लगाना पसंद करते हैं. सहजन जिसका मूल नाम मोरिंगा ट्री (Moringa Plant/Moringa Tree) है को ड्रम स्टिक (Drum Stick tree) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक औषधीय पौधा होने के साथ-साथ फल के रूप में सब्जी देने वाला पौधा है. 

अगर आप भी सहजन के पौधे से लाभ उठाना चाहते हैं, तो अपने घर में मोरिंगा ट्री (Moringa Plant) जरूर लगाएं. यदि आपके पास पौधा रोपने के लिए स्थान आदि उपलब्ध नहीं है तो सहजन को गमले या ग्रो बैग में भी असानी से उगाया जा सकता है. 

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गमले या ग्रो बैग में सहजन के पौधे को उगाने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. जैसे- गमले या ग्रो बैग में सहजन के पौधे को उगाने के लिए मिट्टी का चुनाव, खाद का संतुलन, पानी का संतुलन व पौधा उग जाने के बाद मोरिंगा पौधे की कटिंग आदि.

आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको घर पर आसानी से सहजन (मोरिंगा ट्री) उगाने के लिए जानकारी साझा करने जा रहे हैं. पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप आसानी से गमले या ग्रो बैग में सहजन (Moringa Plant) के पौधे को उगा सकते हैं.

सहजन पौधे के फायदे (moringa plant benefits)-

आयुर्वेद में सहजन के पूरे पौधे को औषधि ही माना गया क्योंकि सहजन पौधे के प्रत्येक भाग से किसी न किसी तरह की औषधि का निर्माण किया जाता है. मसलन – सहजन के पत्तियों (moringa leaves in hindi) को पाउडर बनाकर आज नामी e-commerce वेबसाइट व औषधि बाजार में बेंचा जा रहा है.

सहजन के फूलों व फलों का सेवन करने से हमारे पाचन तंत्र में सुधार होता है और हमारी पाचन शक्ति दुरुस्त होना शुरू कर देती है. वहीँ अगर सहजन की छाल के सेवन गठि‍या बाई, लीवर और साइटिका जैसी समस्याओं से निजात पाने में सहूलियत मिलती है. साथ ही यदि इसकी छाल का चूर्ण बनाकर शहद आदि के साथ मिलाकर सेवन किया जाए तो कफ जनित रोगों से भी जल्द ही छुटकारा मिल सकता है.

इतने सारे औषधीय गुणों के भंडार वाले पौधे को हमें अपने घर पर जरूर लगाना चाहिए, और सबसे बड़ी बात यह है कि सहजन को किचन गार्डन के तहत गमले अथवा ग्रो बैग में भी आसानी उगाया जा सकता है.

सहजन के बीज का चुनाव (Selection of Moringa Seeds)-

आज आम तौर पर बाजार में सहजन (Moringa Plant) पौधे को बीज से उगाने के लिए 02 तरह के बीज मिलते हैं-

  1. साल में एक बार फल देने वाला,
  2. साल में दो बार फल देने वाला, (Rohit1 hybrid किस्म वर्ष में 02 बार फल उत्पादन करती है)
  3. साल में दो से अधिक बार फल उत्पादन (PKM1 hybrid किस्म वर्ष में 02 से अधिक बार फल उत्पादन कर सकती है.)

इसी के साथ सहजन (Moringa Plant) के पौधे को कलम से भी उगाया जाता है. गमले या ग्रो बैग में moringa oleifera plant को कलम से उगाने के लिए वर्षा ऋतू सबसे उत्तम होती है. और वैसे भी किसी भी पौधे को अगर कलम से ग्रो करना है तो वर्षा ऋतू ही सबसे उत्तम मानी गई है.

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सहजन उगाने के लिए मिट्टी को तैयार करना-

सहजन (Moringa Plant) पौधे को बीज से उगाने के लिए हमें मिट्टी इस प्रकार से तैयार करनी है-

  1. साधारण गार्डेन मिट्टी- 04 भाग
  2. वर्मी कम्पोस्ट/केंचुआ या गोबर खाद – 03 भाग
  3. कोकोपीट- 03 भाग

उपरोक्त सभी बताये गए घटकों को मात्रा अनुसार आपस में मिलकर वांछित मिट्टी तैयार कर लेनी है. इसके बाद ही मिट्टी में सहजन के बीजों को रोपा या लगाया जाता है.

यदि आप चाहते हैं कि आपके सहजन के पौधे जल्द उगना शुरू करें तो इसके लिए मोरिंगा ट्री के बीजों को लगभग 06 घंटों के लिए एक गिलास पानी में छोड़ दें. 06 घंटों के बाद इन भीगे हुए बीजों को गमले की मिट्टी में आधा से एक इंच नीचे दबा दें. इसके बाद इसमें पानी दे देना है.

पानी दे देने के बाद गमले को ऐसे स्थान पर रखना होता है, जहां 02 से 03 घंटों के लिए धूप आती हो. लगभग 10 से 12 दिनों के बाद आपको बीजों से अंकुरण दिखाई देना शुरू हो जाएगा.

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सहजन के छोटे पौधे को बड़े गमलों में स्थानांतरित करना-

लगभग 01 से डेढ़ महीने बाद 06 इंच के गमले में सहजन के पौधे का विकास होना रुक जाता है तो इसके लिए अब इन 01 महीने के पौधों को बड़ी क्षमता के 18 से 22 इंच के गमले या ग्रो बैग में स्थानान्तरण करने की आवश्यकता है.

यदि आप एक अपने किचन गार्डेन या टेरेस गार्डेन में सहजन का स्वस्थ्य पौधा देखना और पौधे से लाभ लेना चाहते हैं तो यह स्थानान्तरण प्रक्रिया बेहद जरूरी है, इसे जरूर करें.

कलम से सहजन उगाने के लिए-

सहजन (Moringa Plant) पौधे को कलम से उगाने के लिए हमें मिट्टी इस प्रकार से तैयार करनी है-

  1. साधारण गार्डेन मिट्टी- 03 भाग
  2. वर्मी कम्पोस्ट/केंचुआ या गोबर खाद- 02 भाग
  3. कोकोपीट- 05 भाग

सामान्य तौर पर प्रारम्भिक चरण में मोरिंगा ट्री या सहजन के पौधे (moringa plantation) को उगाने के लिए 20 इंच के गमले या ग्रो बैग का उपयोग में लिया जाता है. बीज अथवा कलम रोपने के बाद गमले या ग्रो बैग को उस स्थान पर रखना होता है,

जहां सूरज की 02 से 03 घंटों के लिए धूप आती हो क्योंकि सहजन का पौधा प्रारंभिक स्तर पर नाजुक होता है और ज्यादा देर की धूप सहन नहीं कर पाता. कलम लगाने के बाद जब कलम अच्छे से ग्रो हो जाती है तो करीब 01 महीने बाद पौधे को सीधे धूप में रख सकते हैं.

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पानी की मात्रा संतुलित करना-

पौधे को बस उतना ही पानी देना है, जितने में उसकी मिट्टी में नमी बनी रहे. सर्दियों के मौसम में गमले आदि में लगे पौधों को 02 से 03 दिन के अंतराल पर पानी दिया जाता है. 

इसके साथ ही जैसे जैसे पौधे की शाखाएं बड़ी होकर फैलती हैं तो इन शाखाओं का उचित प्रबन्धन किया जाना प्राथमिक अनिवार्यता है क्योंकि इन्ही शाखाओं में पहले फूल और फिर फल (सहजन) लगती है.

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सहजन के पौधों की कटिंग करना-

करीब 30 दिनों बाद सहजन के पौधे में अच्छी ग्रोथ आपको दिखाई देगी. अब शुरू होता है अगला चरण, जिसमें हमें पौधों की प्रूनिंग करनी है. सहजन के पौधे से बेहतर उपज लेने के लिए हमें सबसे पहले बन्जी कटिंग करनी होती है. अब प्रश्न यह है कि ये बन्जी कटिंग या 3G कटिंग क्या होती है?

3G कटिंग- 

पौधे के अंकुरण के बाद शाखा से जो तीसरा पत्ता निकलता है उसे पौधे का थर्ड जनरेशन या तीसरी पीढ़ी कहते हैं और 3G कटिंग में पौधे के तीसरे पत्ते के बाद के भाग को काट दिया जाता है, जिससे पौधा बच गए पत्तों के मुहाने से नई-नई शाखाएं विकसित करता है, और जिससे पौधे के पास अधिक संख्या में फूल व फल देने के लिए अधिक शाखाएं होती है. इसी तर्ज पर 2G कटिंग भी की जाती है.

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बन्जी कटिंग-

पौधे के अंकुरण के बाद पौधे की मुख्य शाखा के ऊपरी छोर को काट दिया जाता है. इस कटिंग प्रकिया (Cutting Method) को पौधे की बन्जी कटिंग कहते हैं. किचन गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग के तहत सहजन के पौधे को फैलाने के लिए इस कटिंग को किया जाता है. 

बन्जी कटिंग से कटिंग सिरे पर नई शाखाओं का विकास होता है जिससे पौधा अधिक मात्रा में फूल व फल दे, इसकी सम्भावना बढ़ जाती है. कटिंग आदि के बाद पौधे को वर्मी कम्पोस्ट या लीफ कम्पोस्ट की खाद प्राथमिकता पर जरूर दें. इसके साथ ही यदि जरूरी लगे तो पौधे को रोगाणुओं के खतरे से बचाने के लिए ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का छिडकाव जरूर करें.

नोट- किसी भी तरह की कटिंग करने से पहले कटिंग औजारों को अच्छे से सैनिटाईज जरूर कर लें.

ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर और रोगाणुनाशक-

यूं तो सहजन के पौधे को कोई खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है, लेकिन फिर भी अहतियात के तौर पर जब पौधे की कटिंग आदि करें तो ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर और रोगाणुनाशक का प्रयोग जरूर करें.

एक बेहतरीन ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर और रोगाणुनाशक जिसका निर्माण हम अपने घर पर आसानी से और कम कीमत पर तैयार कर सकते हैं. घर पर ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर बनाने के लिए सिर्फ एक चीज की जरूरत होती है और वह है- नीम खली, नीम का तेल.

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02 लीटर पानी में करीब 07 से 10 ml नीम के तेल को मिलाकर पौधे व उसकी पत्तियों पर स्प्रे कर देना है, आप 30 दिनों के अंतराल पर इस ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का उपयोग कर सकते हैं. नीम खली को आप सीधे पौधे की जड़ में गुड़ाई कर दे सकते हैं. 

आमतौर पर सहजन या moringa oleifera के पौधे रोप जाने के 20 से 25 दिन बाद ग्रोथ करना शुरू कर देते हैं और लगभग 90 से 120 दिन के बाद फूल भी पौधे में आना शुरू हो जाता है. जब फूल आना शुरू हो जाए तो पौधों को 20 से 30 ग्राम सरसों की खली को 02 लीटर पानी में 24 घंटे भिगोकर जो मिश्रण तैयार होता है…

उसे सीधे या छानकर सहजन के पौधे को महीने में एक बार ही देना होता है. इससे और अधिक फूल आएंगे जिनका अधिक संख्या में फलों में परिवर्तित होना संभावित हो सकता है.

FAQ.

सहजन की पत्तियों का जूस पीने से क्या फायदा होता है?

उच्‍च रक्‍तचाप (High Blood Pressure) से निजात पाने में राहत, कैंसर के लक्षणों को कम करने में सहजन की पत्तियों का जूस काफी कागगर औषधि है. सहजन की पत्तियों (moringa leaves) में कई तरह के एंटीऑक्‍सीडेंट, विटामिन सी, जिंक और हमारे इम्यून सिस्टम को सक्रिय करने वाले घटक होते हैं.

सहजन को कितने नामों से जाना जाता है?

आम बोलचाल की भाषा में औषधीय वृक्ष को- 1. मोरिंगा (moringa oleifera) व 2. ड्रम स्टिक (drumstick tree) के नाम से जाना जाता है.

क्या सहजन का पौधा गंदले पानी को स्वच्छ कर सकता है?

हां! यह पूरी तरह से संभव है. प्राचीन समय से सहजन के वृक्षों को ऐसे सरोवरों के पास रोपित किया जाता था, जहाँ स्नान आदि किया जाता था.

सहजन के वृक्ष में गंदले पानी को स्वच्छ करने की खूबी होती है. जिसका हमारे पूर्वजो को पता था, लेकिन समयांतराल में यह जानकारी सीमित लोगों तक ही रह गई है.

अंत में-

स्वास्थ्य की दृष्टी से केमिकल रहित सब्जियां खाना हमारे शरीर को बेहतर बनाता है और किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग के तहत सहजन के पौधे को तैयार करना भी थोड़ी देख-रेख के बाद आसानी से हो जाता है. यदि आप चाहते/चाहती हैं कि आप भी प्राकृतिक चीजों का लुफ्त उठा पाएं तो सहजन को अपने किचन गार्डेन या टेरेस (छत) गार्डेन में जरूर उगाएं.

हमारा उद्देश्य सभी किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग (बागवानी) प्रेमियों को बेहतर से बेहतर जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे अपनी बागवानी योग्यताओं को बेहतर से बेहतरीन बना सके और अपने द्वारा तैयार की गई ऑर्गेनिक सब्जियों व औषधियों से लाभ उठा सकें.

आशा है आपको इस लेख ‘गमले में सहजन उगाने का आसान तरीका’ से किचन व टेरेस गार्डनिंग के तहत सहजन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जरूर मिली होगी, यदि बड़े स्तर पर सहजन की खेती (Moringa Tree Plantation) के बारे जानना चाहते है तो हमारे Telegram चैनल से जुड़ें. साथ ही यदि कुछ छूट गया हो तो कृपया comment box में जरूर लिखें. तब तक के लिए —-

“शुभकामनाएं! आपकी कामयाब और सफल बागवानी के लिए”

धन्यवाद!

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2 टिप्पणी

  1. बहुत ही बढ़िया एक शानदार लेख…
    गोबर से इतने सारे प्रोडक्ट्स को बनाया जाता है…
    मेरी जानकारी बढ़ाने के लिए धन्यवाद…

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