2025 में कैसे शुरू करें मछली पालन व्यवसाय | How to Start Biofloc Fish Farming Business in 2025

छोटे स्तर पर मछली पालन व्यवसाय [Biofloc Fish Farming]/बिजनेस की विस्तृत जानकारी, सबसे तेज बढ़ने वाली मछली, biofloc fish farming, मछली पालन बिजनेस में लागत, मछलियों का चुनाव कैसे करें, मछली चारा क्या होता है, मछली की खेती में कितने कर्मियों की जरूरत होती है व बायोफ्लोक मछली पालन में कितना मुनाफा कमाया जा सकता है.

भारत में मछली पालन व्यवसाय (fish farming business) बहुत ही लाभदायक होने के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण क्षेत्र भी है। मत्स्य पालन और जलीय खाद्य उत्पादन (Sea food) भारत में एक सफल व्यवसाय भी सिद्ध हो चुका है. हमारे देश भारत के कई राज्यों में मूल रूप से मछलियों का पालन, भोजन और पोषण प्राप्त करने के लिए किया जाता है.

व्यवसायिक दृष्टि से अगर बात की जाए तो आज उच्च गुणवत्ता वाले केकड़ेमछ्ली की मांग हमेशा बाजार में बनी ही रहती है साथ ही उच्च गुणवत्ता मछली का लेन-देन भी बाजार में उच्च मूल्यों पर ही होता या किया जाता है. बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक भारत के वो प्रमुख राज्य हैं,

जहां मछली पालन व्यवसाय के तहत मछली का उत्पादन या मछली की खेती (फिश फार्मिंग) बड़े पैमाने पर की जाती है। मछली पालन व्यवसाय (machhli palan business) छोटे और बड़े दोनों पैमानों/स्तरों पर किया जाता है और दोनों ही तरीके लाभदायक हैं।

मछली-पालन-व्यवसाय-Fish-Farming-Business
मछली पालन व्यवसाय (Fish Farming Business)

व्यवसायायिक तौर पर यदि कोई इच्छुक उद्यमी/किसान मछली पालन व्यवसाय (fish farms) शुरू करना चाहता है तो उसे सबसे पहले fish farming business plan को पूरी एकाग्रता के साथ विस्तार से समझना जरूरी है.

मछ्ली पालन व्यवसाय का व्यवसायिक महत्व (Importance of Biofloc Fish Farming Business)-

अमूमन, छोटे स्तर पर मछलियों का उत्पादन खुदरा बिक्री (retail selling) के लिए किया जाता है जबकि बड़े पैमाने पर मछली की फसल को निर्यात के लिए तैयार किया जाता है। जो कि व्यवसायिक दृष्टी से बड़े लाभ को इंगित करता है. मछलियाँ स्वास्थ्य वर्धक होने के साथ-साथ प्रोटीन से भरा एक शानदार भोजन भी होती है,

जिसमें कोलेस्ट्रॉल और कैलोरी की मात्रा अन्य मांसाहार की अपेक्षा कम होती है. आज लगभग 67% भारतीय, भोजन में मछली खाना पसंद करते है। जिसके चलते आज मछली और मछली से बने उत्पादों के मूल्यों में तेजी से बढ़ोत्तरी होती जा रही है।

वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए आज जिस तरह से जनसंख्या का स्तर बढ़ रहा है, मछली की खपत भी बढ़ती जा रही है. जिससे मछ्ली की कीमत का बढ़ना स्वाभाविक है, इससे यह बिलकुल स्पष्ट हो रहा है कि biofloc technology से मछली पालन व्यवसाय शुरू करना लाभ प्रदान करने वाला स्रोत है जो एक उभरते/नए उद्यमी के लिए बेहतर विकल्प साबित हो  सकता है.

मछली पालन व्यवसाय का पंजीकरण कहां से कराएं (Business Registration)-

चूँकि मछली पालन व्यवसाय कृषि (fish cultivation) के अंतर्गत आता है इसलिए इसका पंजीकरण वैकल्पिक श्रेणी में आता है, फिर भी व्यवसायिक तौर पर मछ्ली पालन या मछली की खेती (fish farming) शुरू करने से पहले इच्छुक उद्यमी/किसान को अपने राज्य के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी विभाग (DEPARTMENT OF FISHERIES, ANIMAL HUSBANDRY & DAIRYING) से संपर्क कर अपनी फ़र्म का पंजीकरण करा सकते है। इसके साथ कर (टैक्स) से संबंधित सभी पंजीकरण कराना अनिवार्य है.

मछली पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रशिक्षण कहां से लें (Fish Farming Training)-

मत्स्य पालन को व्यवसायिक तौर पर बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा मत्स्य विभाग का सृजन किया गया है, जिसका मुख्य काम सभी इच्छुक उम्मीदवारों, उद्यमियों व किसानों को मछली पालन का प्रशिक्षण व समस्त जानकारी उपलब्ध कराना है.

यदि आप मछली खेती (fish agriculture) को अच्छे से सीखना/प्रशिक्षण लेना चाहते हैं तो आप अपने जनपद/राज्य के मत्स्य विभाग (DEPARTMENT OF FISHERIES) से संपर्क कर सकते हैं. साथ ही विभाग द्वारा biofloc fish farming training भी आयोजित की जाती है.

इसे भी जरूर पढ़ें- बिजनेस में फेल होने के कारण

कितने तरीकों से मछ्ली पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं-

वर्तमान में मछ्ली पालन व्यवसाय को सहूलियत के मुताबिक विभिन्न तरीको से किया जाता है-

  1. पारंपरिक तरीके से बड़े/छोटे स्तर पर तालाब आदि को तैयार कर मछ्ली पालन
  2. छोटे स्तर पर आधुनिक प्लवक तकनीक (Biofloc technology) की मदद से छोटे टैंक/पॉण्ड (कृत्रिम जलाशय) तैयार कर मछ्ली पालन, जिसे समय के साथ बड़ा भी किया जा सकता है।
  3. RAS Fish Farming System के मध्यम से biofloc तकनीक से मछ्ली पालनकेकड़ा पालन
  4. Semi Biofloc system से मछ्ली पालन
  5. Floating chamber बनाकर मछ्ली की खेती करना और आखिर में
  6. Dam में बड़े स्तर पर मछ्ली पालन

आज जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है उसके दृष्टिगत बड़े तालाबों की संख्या में कमी आती जा रही है, जिससे काफी हद तक बड़े स्तर पर मछ्ली पालन व्यवसाय सभी के लिए कर पाना कठिन होता जा रहा है। लेकिन वहीं यदि आप मछ्ली पालन व्यवसाय के क्षेत्र में आना ही चाहते हैं तो आप दूसरे तरीके को सीख कर मछ्ली पालन का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं-

इसे भी पढ़ें- सिगरेट वेस्ट रीसायकल व्यवसाय

इस लेख में हम आपके साथ छोटे स्तर पर किए जाने वाले मछ्ली पालन (Biofloc-प्लवक विधि) की पूरी जानकारी (biofloc fish farming in hindi) साझा करेंगे। जहां आपको बताया जाएगा की छोटे आकार के पॉण्ड (जलाशयों) को कैसे तैयार कर मछ्ली पालन व्यवसाय या मछ्ली की खेती (fish cultivation) की जाती है, साथ ही किन-किन वस्तुओं, मशीनरी व मटेरियल की आवश्यकता होती है। 

Biofloc technology (प्लवक विधि) से मछ्ली पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थान का चुनाव-

छोटे स्तर पर प्लवक विधि/biofloc system से मछ्ली पालन व्यवसाय (Biofloc fish farming) शुरू करने के लिए आपको ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां वायु-प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण सामान्य की अपेक्षा कम हो तथा सामान्य (आम) लोगों व बच्चों की पहुंच से दूर हो।

साथ ही इस स्थान को आप नेट अथवा पारदर्शी कपड़े/प्लास्टिक छत से ढक भी सकते हों। शुरुआती स्तर पर एक biofloc fish tank या पॉण्ड स्थापित करने के लिए कम से कम 50 वर्ग फुट के स्थान की जरूरत होती है।

Biofloc technology से मछ्ली पालन के लिए टैंक/पॉण्ड तैयार करना-

छोटे स्तर पर मछ्ली पालन व्यवसाय स्थापित करने के लिए स्थान का चुनाव करने के बाद सबसे पहला काम होता है टैंक/पॉण्ड तैयार करना। आधुनिक तकनीक से मछ्ली पालन व्यवसाय करने के लिए biofloc tank (fish farming ponds) को 02 तरीकों से तैयार कर सकते हैं-

  1. सीमेंट से चिनाई कराकर पक्का पॉण्ड
  2. आधुनिक तकनीक द्वारा Round Tarpaulin टैंक का निर्माण कर

आधुनिक तकनीक का biofloc tank/pond तैयार करने के लिए जरूरी समान व सामग्री (biofloc tank material list)-

आधुनिक तकनीक से fish farming ponds तैयार करने के लिए इन सामानों की जरूरत होती है-

  1. लोहे की जाली (3.2 मीटर लंबाई, 1.5 मीटर ऊंचाई व 6 mm मोटाई की)
  2. प्लास्टिक शीट/जाली और तारपोलिन के बीच लगाने के लिए (मोटाई 02 mm)
  3. जाली को कवर करने के लिए Round Tarpaulin Sheet (650 GSM) (03 मीटर व्यास)
  4. पानी भरने के लिए PVC पाइप 1.5 इंच (3 से 6 लेंथ)
  5. पानी निकालने के लिए PVC पाइप 4 इंच (3 से 6 लेंथ)
  6. पाइपों को आपस में जोड़ने के Glue और पाइप jointer और cap
  7. प्लास्टिक/जूट की रस्सी
  8. प्लास्टिक केबिल ज़िप टाई
  9. Air Pump, Air Stone व पाइप
  10. प्लास्टिक टिन शेड (हरा या नीला)
  11. मछलियों की सुरक्षा के लिए पॉण्ड के ऊपर लगाई जाने वाली नायलॉन नेट
बायोफ्लॉक-टैंक-तैयार-करने-के-लिए-सामग्री
बायोफ्लॉक टैंक/पॉण्ड तैयार करने के लिए जरूरी सामग्री

इसे भी पढ़ें- जुकीनी मुनाफे की खेती

उपरोक्त बताई गई सामग्री खरीदने के लिए अपने स्थानीय/लोकल हार्डवेयर मार्केट से संपर्क करें, यदि यह सामग्री आपके लोकल मार्केट में नहीं मिल पा रही है तो इसे ऑनलाइन भी नीचे दी गई वेबसाइटों से आसानी से खरीदा जा सकता है।

  • indiamart.com/
  • alibaba.com/
  • amazon.com/
  • flipkart.com/

बायोफ्लॉक टैंक तैयार करने की विधि (Biofloc Tank Preparation Method)-

  • सबसे पहले चिन्हित स्थान पर 03 मीटर व्यास का एक वृत्त (गोला) खीचना है, इसके बाद इस वृत्त के केंद्र बिन्दु से पानी निकासी के लिए एक पाइप डालकर इस पाइप को फिक्स करना होता है, वृत्त के केंद्र पर एक एल्बो लगाना है तथा बाहरी छोर पर एक T, इसके बाद खींचे गए वृत्त के चारों ओर एक मेढ़, ईंटों की मदद से बनानी है,
  • फिर लोहे की जाली को पूरे वृत्त के बराबर खड़ा कर देना है, यहां ध्यान दें कि जाली के अंदर के वृत्त का व्यास 03 मीटर होना जरूरी है। जाली के खड़े हो जाने के बाद इस जाली को सीमेंट के गारे की मदद से ईंटों के साथ फिक्स कर देना है। इस फिक्सिंग को लगभग 01 दिन के लिए छोड़ दें।
  • इसके बाद जिस स्थान पर पॉण्ड बनाया जा रहा है, वहां पर आपको ग्रीन या ब्लू शेड (छत) बनाना/लगाना  है, क्योकि यदि आप शेड नहीं लगाते हैं तो धूल, मिट्टी और प्रदूषण के साथ सूर्य का प्रकाश सीधा आपके पॉण्ड/टैंक पर पड़ेगा जो Tarpaulin Sheet की लंबी आयु को कम करता है शेड रहित होने के कारण वातावरण की धूल, मिट्टी से टैंक का जल गंदा भी हो सकता है।
  • अगले दिन फिक्स जाली की पानी से तरी आदि करने के कुछ समय बाद तैयार वृत्त के अंदर मिट्टी डालकर वृत्त के अंदर कि सतह को बाहर से केंद्र की ओर 01 फीट का ढलान देते हुए सतह को ढलुआ और चिकना करना है, सतह के समतल हो जाने के बाद वृत्त की जाली पर Tarpaulin की सुरक्षा के लिए पहले प्लास्टिक शीट और उसके बाद Tarpaulin की शीट को बिछाकर रस्सी तथा प्लास्टिक केबिल ज़िप टाई से फिक्स करना है।
  • Tarpaulin Sheet फिक्स हो जाने के बाद वृत्त के केंद्र बिन्दु पर आपको पानी निकासी पाइप के छोर का उभार महसूस होगा, निकासी पाइप के इस छोर को 02 से 04 प्लास्टिक केबिल ज़िप टाई से कसकर बांधना है, क्योंकि इस बिन्दु पर 1 से 1.5 फुट का जाली दार पाइप (एक छोर से बंद) लगाया जाता है।
  • टाई से कसकर बांधने के कारण जब आप जाली दार पाइप को जोड़ने के लिए Tarpaulin Sheet को काटेंगे तो Tarpaulin Sheet एक निश्चित मात्रा में ही कटेगा, जिससे Tarpaulin Sheet के खराब हो जाने संभावना खत्म हो जाएगी।
  • टैंक के केंद्र बिन्दु पर Tarpaulin Sheet में छेद/काट कर जाली दार पाइप को गोंद लगाकर फिक्स कर देना है। इसके बाद पानी निकासी का उचित प्रबंधन करना जरूरी है, जो बायोफ्लॉक टैंक से निकाला जाएगा। इस निकासी पानी के समुचित निपटान के लिए Aquaculture हाइड्रोफोनिक खेती (पानी पर खेती) का विकल्प सबसे बेहतर होता है, इस खेती से आपका निकास पानी पौधों द्वारा रीसायकल हो जाता है जिसे बार-बार मछ्ली पालन के प्रयोग में लिया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें- बायो ईंधन जेट्रोफा की खेती

इन सब अनिवार्य पड़ावों को पूरा करने के बाद आपका बायोफ्लॉक फिश टैंक पूरी तरह से तैयार हो चुका है। अब आप बायोफ्लॉक फिश टैंक में पानी को भर कर इसे पूरी तरह से तैयार कर सकते हैं।

मछ्ली पालन व्यवसाय के तहत बायोफ्लॉक टैंक में जरूरी तत्वों को संतुलित करना-

बायोफ्लॉक वाटर टैंक में मछ्ली पालन शुरू करने के लिए पानी के तत्वों को संतुलित करना प्राथमिक कार्य है, क्योंकि उच्च गुणवत्ता की मछ्ली तैयार करने के लिए मछ्ली को दिये जाने वाले पोषक तत्वों का ध्यान रखना अनिवार्य है- बायोफ्लॉक वाटर टैंक में नीचे बताए गए तत्वों पर विशेष ध्यान देना होता है-

  1. अमोनिया- 0.01 PPM
  2. पोटैशियम- 0.3 PPM
  3. क्लोरीन- 0.003 PPM
  4. नाइट्रेट
  5. नाइट्राइट
  6. TDS
  7. प्लाक- 05 से 40 मिली
  8. फास्फोरस- 0.5 से 5.0 मिली ग्राम प्रति लीटर
  9. घुलनशील ऑक्सीज़न- 4 से 10 मिली ग्राम प्रति लीटर
  10. घुलनशील कार्बन डाइऑक्साइड- 3 से 5 मिली ग्राम प्रति लीटर
  11. घुलनशील नाइट्रोजन- 0.5 से 1.0 मिली ग्राम प्रति लीटर
  12. और आखिर में pH लेवल- 7 से 8.6 तक
  13. पानी की पारदर्शिता- 8 से 12 सेंटीमीटर तक

उपरोक्त रसायनिक सामग्री खरीदने के लिए अपने स्थानीय/लोकल केमिकम मार्केट से संपर्क करें, यदि यह सामग्री आपके लोकल मार्केट में नहीं मिल पा रही है तो आप हमसे भी संपर्क कर सकते हैं साथ ही इसे ऑनलाइन भी नीचे दी गई वेबसाइटों से आसानी से खरीदा जा सकता है।

  • indiamart.com/
  • alibaba.com/
  • amazon.com/
  • flipkart.com/

मछली पालन व्यवसाय के तहत पानी का तापमान नियंत्रण-

तालाब या बायोफ्लॉक वाटर टैंक दोनों ही स्थानों पर फिश फार्मिंग शुरू करने के लिए पानी के तापमान एक अहम भूमिका निभाता है, मछली की खेती में पानी का तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रखना जरूरी है. पानी के तापमान को मापने के लिए साधारण किचन थर्मोमीटर का उपयोग किया जा सकता है.

किचन थर्मोमीटर को लोकल मार्केट या ऑनलाइन दोनों जगह पर आसानी से ख़रीदा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें- कमर्शियल प्रेशर वाशिंग बिजनेस से करें मुनाफा कमाने की शुरुआत

मछ्ली पालन व्यवसाय करने के लिए बच्चा/बीज का चुनाव-

बायोफ्लॉक वाटर टैंक में किसी भी तरह की मछ्ली का पालन किया जा सकता है, लेकिन व्यवसायिक तौर आपको उन मछलियों का चुनाव करना है, जो कम समय व कम लागत में जल्द तैयार हो जाती हैं, इसके साथ ही आपको बाजार की मांग को भी ध्यान में रखना होता है।

व्यवसायिक तौर पर आप इन बताई गई मछलियों- रोहू फिश, कटल फिश (कतला), मृगल फिश, कार्प फिश (कामन, ग्रास और सिल्वर कार्प), वैकर, कैट फिश और सालमन फिश में से किन्ही 01 या 02 अथवा बाजार डिमांड के आधार पर चुनाव कर सकते है।

उत्पादन के लिए मछलियों से संबन्धित जानकारी-

  1. रोहू मछ्ली- खाने में सबसे स्वादिष्ट और तीव्र गति से बढ़ने वाली मछ्ली रोहू मछ्ली है। पारंपरिक मछ्ली पालन या सामान्य तौर पर रोहू मछ्ली का भोजन काई, सड़ती पत्तियाँ और जैविक मलबा होता है। लेकिन बायोफ्लॉक वाटर टैंक में रोहू मछ्ली पालन में मछ्ली को दिया जाने वाला भोजन भी इसके भोजन आधार पर बनाया या खरीदा जाता है। यह फिश एक साल में 35 से 40 सेंटीमीटर तक और वजन में 01 से 1.25 किलोग्राम तक हो जाती है।
  • कटल फिश (कतला-Cuttlefish)- इस मछ्ली का मुख्य भोजन जूप्लैक्टोन होता है, यह पानी की दो सतहों पर अपना भोजन करती है, मध्य और ऊपरी सतह पर। भारत में पायी जाने वाली सभी मछलियों में कटल फिश सबसे तेज गति से बढ़ती है। यह फिश एक साल में 40 से 46 सेंटीमीटर तक और वजन में 01 से 1.50 किलोग्राम तक हो जाती है.
  • मृगल फिश (Mrigal carp)- रोहू और कतला के बाद महत्वपूर्ण मछ्ली है मृगल फिश। यह भोजन जल के नीचे स्तर पर करती है, इसके भोजन में गलती व सड़ती पत्तियाँ और जैविक मलबा होता है। व्यवसायिक तौर पर इसकी खेती भी बड़ी मात्रा में की जाती है। यह फिश एक साल में 35 से 40 सेंटी मीटर तक और वजन में 800 ग्राम तक हो सकती है।
  • कार्प फिश (Corp fish)- विदेशों से लाई गई कार्प मछलियों ने मछ्ली पालन व्यवसाय को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है, ये मछलियाँ भारत की जलवायु से पूरी तरह से ढल चुकी हैं और मछ्ली उत्पादनकर्ता या उद्यमी को अच्छा मुनाफा भी देती हैं। मुख्यत: तीन तरह की कार्प फिश का पालन (carp fish farming) अथवा उत्पादन किया जाता है. ये प्रकार हैं-
  • कामन कार्प (common corp)- यह मछ्ली छोटे तालाबों में भी प्रजनन कर सकती है। तीव्र गति से बढ़ने वाली यह मछ्ली 01 साल में 40 से 45 सेंटीमीटर तक और वजन में 1.75 से 02 किलोग्राम तक हो जाती है।
  • ग्रास कार्प (Grass Corp)- यह मछ्ली अपने भोजन में मुख्य रूप से पानी के पौधे ही लेती है, यह मछ्ली भी तीव्र गति से बढ़ने वाली मछ्ली है। यह मछ्ली 01 साल में 42 से 50 सेंटीमीटर तक और वजन में 1.75 से 2.50 किलोग्राम तक हो जाती है।
  • सिल्वर कार्प- विश्व की सबसे बड़ी पाली जाने वाली मछ्ली सिल्वर कार्प है। यह भोजन में फाइटोप्लैंकटन खाती है। यह मछ्ली 01 साल में 60 से 75 सेंटीमीटर तक और वजन में 2.75 से 03 किलोग्राम तक हो जाती है। आमतौर पर यह मछ्ली चलते हुए पानी में प्रजनन व अंडे देती है।

इसे भी पढ़ें- हरमन 99 सेब की खेती (HRMN 99 Apple Farming)

उपरोक्त मछलियों की कई प्रजातियां होती हैं, मछ्ली पालन व्यवसाय या मछली की खेती शुरू करने से पहले पाली जाने वाली मछलियों के चुनाव के लिए आप अपने जिले/राज्य के मत्स्य विभाग से प्राथमिक तौर पर परामर्श व सलाह जरूर लें.

मछ्ली बीज कहां से लें-

भारत में कोलकाता (इसे भारत का जीरा बाजार भी कहते हैं) राज्य मछ्ली उत्पादन का मुख्य हब व बाजार/मार्केट है, जहां बड़े स्तर पर मछली पालन व्यवसाय (fish farming business) के तहत मछ्ली उत्पादन के साथ मछ्ली बच्चा/बीज की कई नर्सरियाँ/हैचरियाँ स्थापित हैं। इसके साथ ही आप अपने राज्य के मत्स्य विभाग से भी बीज के लिए संपर्क कर सकते हैं।

इच्छुक उद्यमी या किसान उत्पादन क्षमता व आवश्यकतानुसार मछ्ली बीज को खरीद सकते हैं। मछ्ली बीज की कीमत मछ्ली के प्रकार व आकार के आधार पर अलग-अलग होती है।

इसे भी पढ़ें- एरोपोनिक तकनीक से करें केसर की खेती

एक biofloc tank में कितनी मछलियों का एक साथ पालन किया जा सकता है-

बायोफ्लॉक वाटर टैंक के आकार के मुताबिक ही मछलियों का चुनाव करना होता है। ऊपर बताए गए 03 मीटर व्यास के बायोफ्लॉक वाटर टैंक में एक साथ कम से कम 02 तरह ही मछलियों का पालन किया जा सकता है। एक टैंक में 02 तरह की मछलियों का एक साथ पालन एक अनुभवी मछली पालक के लिए आसान है,

जहां एक साथ पालन करने के लिए उन मछलियों का चुनाव किया जाता है, जो आपस में एक-दूसरे को क्षति न पहुंचाती हों। यदि आप अभी मछली पालन व्यवसाय की शुरुआत कर रहे हैं तो जोखिम से बचने के लिए एक टैंक में एक तरह की ही मछली पालन से शुरू करें.

उपरोक्त 03 मीटर व्यास के बायोफ्लॉक वाटर टैंक में 500 से 600 बीज/बच्चा, रोहू व कतला मछ्ली का एक साथ पालन किया जा सकता है। इसमें रोहू 25 से 30% बाकी शेष कतला (कटल फिश) मछ्ली की फ़ार्मिंग (fish farming) शुरू की जा सकती है।

इसके अतिरिक्त आप बाजार मांग के आधार पर मछलियों का चुनाव भी कर सकते हैं। अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए आप एक से अधिक बायोफ्लॉक वाटर टैंकों का निर्माण भी कर अथवा करवा सकते हैं। यदि आपको मछली पालन का चुनाव करने कोई दिक्कत आ रही है तो अपने जिले या राज्य के बायोफ्लॉक मछली पालक किसानों के साथ मत्स्य विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं.

मछलियों को भोजन देने का अनुपात व समय-

बायोफ्लॉक तरीके से मछ्ली पालन में मछलियों को खाना, उनके आकार व वजन के अनुसार दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर 01 क्विंटल मछ्ली वजन पर वजन का 1 से 3% (अधिकतम 03 किलोग्राम) ही एक निश्चित समय पर रोजाना दिया जाता है।

मतलब अगर भोजन सुबह दे रहे हैं तो सुबह ही दें या फिर अगर दोपहर में दे रहे हैं तो दोपहर में ही दें, वैसे बायोफ्लॉक मछ्ली पालन व्यवसाय के तहत अधिकतर उत्पादनकर्ता अधिकतर सुबह ही भोजन देना पसंद करते हैं, क्योंकि दोपहर व शाम को टैंक की गंदगी साफ की जा सके।

इसे भी पढ़ें- सफल कारोबारी की ख़ास बातें

मछलियों के रोग लक्षण व उपचार-

अमूमन बायोफ्लॉक तकनीक से मछ्ली पालन व्यवसाय स्थापित कर उत्पादन करने पर मछलियों में कोई खास बीमारी नहीं होती है, लेकिन फिर भी यदि नीचे बताए गए रोगों के लक्षण अगर दिखाई देते हैं तो इनका समय से प्राथमिकता पर उपचार किया जाना बहुत ही जरूरी है। ये रोग लक्षण हो सकते हैं-

मछलियों की हलचल में कमी व सुस्ती आना

उपचार- अगर टैक में मौजूद मछलियां कम हलचल कर रही हैं या सामान्य की अपेक्षा सुस्त हैं तो वाटर टैंक में मौजूद पानी को बदलने की आवश्यकता है।

मछलियों के शरीर पर दाग-धब्बों का पड़ना, उभरना या पंखों का सड़ना

उपचार- अगर टैक में मौजूद मछलियों के शरीर पर दाग-धब्बे पड़ अथवा उभर रहे हैं या पंख सड़ रहे हैं तो वाटर टैंक में मिलाये जाने वाले रसायनों की मात्रा ज्यादा है, इसके निदान के लिए या तो रसायनों की मात्रा (pH) को संतुलित किया जाए अथवा मौजूद पानी को पूरी तरह से बदला जाए।

मछलियों के शरीर पर सूजन आना, चमड़ी का ढीला होना व पंखों का अविकसित होना

उपचार- अगर टैक में मौजूद मछलियों के शरीर पर सूजन आ रही है या चमड़ी ढीली हो रही है या फिर पंखों का पूर्ण विकास नहीं हो पा रहा हैं तो मछलियों को दिये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है, या भोजन कम मात्रा में दिया जा रहा है।

साथ ही दूसरा कारण- वाटर टैंक में मिलाये जाने वाले रसायनों की मात्रा में गड़बड़ी हो सकती है, इसके निदान के लिए, संतुलित भोजन के साथ रसायनों की मात्रा को संतुलित किया जाए अथवा मौजूद पानी को बदला जाए।

मछलियों की बेढंगी तैराकी व पानी की ऊपरी सतह पर रहना

उपचार- अगर टैक में मौजूद मछलियां बेढंगे तरीके से तैर रही हैं तो इसके 02 कारण हो सकते हैं-

1. दिये जाने वाले भोजन की मात्रा अधिक है या फिर
2. टैक के पानी में अपशिष्ट या प्रदूषण की मात्रा बढ़ चुकी है।

साथ ही यदि मछलियां पानी की ऊपरी सतह पर तैरती दिखती हैं तो टैक के पानी में घुलनशील गैसों (ऑक्सीज़न, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन) विशेष तौर पर ऑक्सीज़न का स्तर कम हो चुका है, जिससे मछलियां सांस लेने के लिए सतह पर आ जाती हैं।

सुझाव-

  • समय-समय पर मछलियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए राज्य/जिले के मत्स्य विभाग के जांच अधिकारी व संबंधित मत्स्य पालन विशेषज्ञ आदि से परामर्श व सहायता जरूर लें।
  • पॉण्ड/टैंक आदि के आस-पास पनपने वाले खर-पतवार, कीट-पतंगे, जीव-जंतुओं आदि का समय-समय पर निपटान प्राथमिकता पर जरूर करें।

फसल की तैयार अवधि-

व्यवसायिक स्तर पर मछली की एक अच्छी फसल तैयार करने की अवधि 01 वर्ष मानी जाती है लेकिन बाजार मांग को देखते हुए 7-9 महीने के अंतर पर भी हार्वेस्ट किया जा सकता है. मछलियां 01 साल में कितनी बढ सकती हैं, इसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है.

बायोफ्लॉक तकनीक से मछ्ली पालन व्यवसाय पर लागत-

बायोफ्लॉक तकनीक से मछ्ली पालन व्यवसाय (biofloc fish farming cost) शुरू करने के लिए कम से कम 01 से 1.25 लाख रुपए की लागत लगती है। जिसमें 01 पूर्ण निर्मित बायोफ्लॉक वाटर टैंक, मछ्ली बीज/बच्चा, आवश्यक रसायन और मछ्ली का चारा आदि सम्मिलित होता है। (मैनपावर की लागत अलग से)

अनुदान अथवा मछली पालन व्यवसाय के लिए लोन कहां से मिलेगा-

नीली क्रांति के बाद भारत सरकार द्वारा मछ्ली पालन खेती व मछ्ली उत्पादन की वृद्धि दर बढ़ाने के लिए मछली पालनकर्ता/उद्यमी को अनुदान (सब्सिडी) व ऋण/लोन भी देती है। मछ्ली पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए यदि आप अनुदान (सब्सिडी) या ऋण/लोन लेना चाहते है तो अपने जनपद/राज्य के मत्स्य विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

साथ ही मत्स्य पालन के लिए लगभग सभी सरकारी और प्राइवेट बैंक भी कम दरों पर ऋण/लोन देते हैं. बैंको से ऋण/लोन पाने के लिए अपने क्षेत्रीय बैंक की शाखा से भी संपर्क कर सकते हैं। बैंक आपके व्यवसाय स्तर के आंकलन आधार पर ऋण/लोन दे सकता है।

भारत सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत अनुदान (सब्सिडी) दिया जाता है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत-

  • सामान्य श्रेणी वर्ग (GEN) के लिए = 40% (अधिकतम)
  • अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) के लिए = 60% (अधिकतम)
  • महिला उद्यमी (किसी भी श्रेणी) के लिए = 60% (अधिकतम)

मछली पालन व्यवसाय के आर्थिक लाभ:

  • मछली पालन करने से आप कम समय में अधिक लाभ प्राप्त/कमा सकते हैं क्योंकि मछली तेजी से बढ़ते खाद्य पदार्थों में से एक हैं।
  • आज बाजार में कई प्रकार की मछलियों की प्रजातियां उपलब्ध हैं जो तेज गति से बढ़ती हैं जिनका पालन (फसल पैदा कर) कर आप अपने किए गए निवेश पर जल्द लाभ कमा सकते हैं।
  • भारत सरकार द्वारा मछली पालन व्यवसाय को शुरू करने के लिए अनुदान, सब्सिडी व ऋण/लोन आदि सेवाएं भी उपलब्ध अथवा दी जाती हैं।
  • व्यावसायिक तौर पर मछली पालन व्यवसाय के लिए उद्यमी का शिक्षित होना कोई मानदंड नहीं है। (कोई अशिक्षित व्यक्ति भी मछ्ली पालन विधि को सीखकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है)
  • मछली पालन व्यवसाय में जोखिम बहुत ही कम होता है, क्योंकि तैयार मछ्ली फसल को आप सीधे ग्राहक को तथा खुदरा व थोक बाजार/मार्केट में आसानी से बेच सकते हैं।

मछली पालन व्यवसाय में ध्यान देने योग्य बाते-

  • सबसे पहले पॉण्ड/टैंक में मछली पालन या मछली की फसल तैयार करना है वह पूरी तरह साफ होना चाहिए, साथ ही मछली पालन के दौरान भी पॉण्ड/टैंक की साफ़ सफाई पर उचित ध्यान रखना होगा क्योकि गंदे पॉण्ड/टैंक होने से मछलिया मर सकती है या उन्हें किसी प्रकार की बीमारी लग सकती है।
  • जिस जगह पॉण्ड/टैंक हो वहां का वातावरण साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए तथा पॉण्ड/टैंक में शेड से आंशिक धूप जाना चाहिए व पानी में दुसरे जीवो को जाने से रोक थाम के लिए कड़ा इंतजाम जरूर करें।
  • मछलियों को आहार नियमित रूप से एक निश्चित समय पर देना जरूरी है (भोजन में दिया जाने वाले चारे में विविधता होना जरूरी है) साथ ही समय समय पर मछलियों की जांच करवाना भी जरूरी होता है।

तैयार फसल कहां बेचना है-

बायोफ्लॉक तकनीक से तैयार मछ्ली फसल अमूमन उच्च गुणवत्ता की होती है, और बाजार में हमेशा से उच्च गुणवत्ता की मछली की डिमांड बनी ही रहती है. यदि आप अपने स्थानीय बाजार क्षेत्र से 20 किलोमीटर व्यास वृत्त में आने वाले बाजारों तक अपनी मछली फसल को पहुचाते हैं तो आसानी से 3 से 4 हफ़्तों में पूरी फसल खुदरा दामों में आसानी से बेंच सकते हैं.

वही यदि आपने कई बायोफ्लॉक टैंक से बड़े स्तर पर मछली की फसल तैयार की है तो बड़े स्तर पर तैयार फसल की बिक्री के लिए अपने राज्य/जनपद के मत्स्य विभाग से संपर्क कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- भारत में तगड़े मुनाफे वाले कृषि व्यवसाय

बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन व्यवसाय में कितना मुनाफा होता है-

बायोफ्लॉक विधि से तैयार 01 मछली पर 01 साल में लगभग 58 से 68 तक का खर्च आता है, जिसे खुदरा बाजार में आसानी से 120 से 180 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय किया जाता है.

मोटे तौर पर बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन व्यवसाय शुरू करने में पहले साल लागत 1 से 1.25 लाख रूपए लगती है, जहां मुनाफा 01 से 1.50 लाख रूपए तक लिया जा सकता है. वही यह मुनाफा दूसरे साल में 02 से 2.50 लाख रूपए तक बढ़ जाता है क्योंकि आपके setup आदि पर खर्च घट जाता है.

FAQ.

Biofloc मछली पालन व्यवसाय में कितना खर्च आता है?

बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन व्यवसाय शुरू करने में पहले साल लागत 1 से 1.25 लाख रूपए तक आ सकती है. अगले वर्ष केवल फसल सम्बन्धी ही लागत लगती है.

सीमेंट टैंक में मछली पालन कैसे की जाती है?

सीमेंट टैंक में मछली पालन biofloc तकनीक से ही किया जाता है, परन्तु सीमेंट टैंक में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता जबकि biofloc टैंक को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थांनातरित करना बहुत आसान होता है.

कौन सी मछली जल्दी बढ़ती है?

भारत में पायी जाने वाली सभी मछलियों में कटल फिश सबसे तेज गति से बढ़ती है। यह फिश एक साल में 40 से 46 सेंटीमीटर तक और वजन में 01 से 1.50 किलोग्राम तक हो जाती है।

कम लागत में मछली पालन कैसे करें?

कम लागत में मछली पालन करने की सबसे सटीक तरीका है biofloc fish farming.

कटल-फिश
कटल फिश

अंत में-

आज जिस तरह से पूरी दुनिया में जनसँख्या का दबाव बढ़ रहा है, जिसके कारण लगातार “भोजन की कमी का होना” जैसी समस्याएं दिखाई देने लगी हैं. ऐसे में भोजन की पर्याप्त पूर्ति करने हेतु मछली पालन व्यवसाय शुरू करना किसी भी उद्यमी/किसान के लिए एक निरंतर लाभ देने वाला कारोबार/विकल्प सिद्ध हो सकता है.

हमारा उद्देश्य उन इच्छुक उम्मीदवारों, उद्यमियों और किसानों को बेहतर और विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराना है जो मछली पालन के व्यवसाय में अपना भविष्य देख रहे हैं या बनाना चाहते है.

आशा है आपको इस लेख ‘कैसे शुरू करें मछली पालन व्यवसाय’ से मछली पालन व्यवसाय (biofloc fish farming business), व्यापार और कारोबार के बारे में पूरी जानकारी जरूर मिली होगी, साथ ही… यदि कुछ छूट गया हो या कुछ पूछना चाहते हों तो कृपया comment box में जरूर लिखें. लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ share करना न भूलें. अभी तक के लिए इतना ही-

शुभकामनाएं आपके कामयाब और सफल व्यापारिक भविष्य के लिए.”

धन्यवाद!

जय हिंद! जय भारत!

Scroll to Top