छोटे स्तर पर चिप्स कारोबार (Chips Making Business) शुरू करने की विस्तृत जानकारी, आलू चिप्स बनाने की मशीन (chips cutting machine), फ्लेवर बनाने की रेसिपी, chips business demand, घर से चिप्स बिजनेस शुरू करने के लिए लागत, चिप्स व्यवसाय में मार्केटिंग, चिप्स कारोबार में मुनाफा
चिप्स! आज लगभग हर आयु वर्ग का सबसे पसंदीदा स्नैक्स बन चुका है। मौजूदा बाजार के आंकलन अनुसार बीते कई वर्षों में चिप्स की मांग या डिमांड काफी बढ़ चुकी है, विशेषकर आलू चिप्स या वेफर्स की। आज आपको लगभग हर एक किराना दुकान, स्टोर्स, चाय दुकानों, खाने के ढाबों के साथ पान दुकान व जनसंपर्क की समस्त दुकानों पर चिप्स के पैकेट आसानी से मिल जाते हैं।
आसानी से किफ़ायती दामों पर बाजार में उपलब्ध होने के कारण, चिप्स (आलू चिप्स-potato chips) की मांग और लोकप्रियता काफी हद तक बढ़ रही है। लगातार भागती/बदलती जीवन शैली के कारण चिप्स जैसा Snack हमारे जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से भी चिप्स को कम वसा वाले भोजन विकल्प के रूप में भी माना जाता है। इसका मतलब यह है कि निकट भविष्य में बाजार में मांग और बढ़ेगी।
जिससे चिप्स का व्यवसाय शुरू करना एक फायदेमंद बिजनेस या विकल्प साबित हो सकता है। साथ ही यदि आप चिप्स कारोबार को शुरू करना चाहते/चाहती हैं तो इस व्यवसाय को कम पूंजी लगाकर घर से भी शुरू किया जा सकता है।
घर से चिप्स कारोबार-
घर से चिप्स कारोबार शुरू करने के लिए आपको कम से कम 5,000 से 10,000 धनराशि का निवेश करने की अवश्यकता होती है। छोटे पैमाने पर आलू और केले आदि के चिप्स जैसे उत्पाद निर्माण की शुरुआत आप घर से ही कर सकते हैं। शुरुआती चरण में तैयार उत्पाद/माल को बाजार में आसानी से बेचा भी जा सकता है और रिटर्न की उम्मीद भी की जा सकती है।
आइए जानते हैं कि घर पर चिप्स का व्यवसाय या कारोबार कैसे शुरू किया जा सकता है, कौन-कौन से घटक, रॉ मटेरियल व चीजों की जरूरत पड़ती है?
चिप्स कारोबार शुरू करने के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल-
चिप्स का बिजनेस शुरू करने के लिए हमें बस एक ही रॉ मटेरियल की जरूरत होती है। मसलन यदि आप आलू के चिप्स का व्यवसाय करना चाहते/चाहती हैं तो रॉ मटेरियल के लिए आलू की जरूरत होगी, वही यदि आप किसी और जैसे- केले आदि के चिप्स बनाना चाहते/चाहती हैं तो रॉ मटेरियल के लिए कच्चे केले की जरूरत होगी।
नोट- इस लेख में हम आलू चिप्स व्यवसाय (potato chips making business) के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे।
चिप्स बनाने के लिए आवश्यक सामग्री-
- खाद्य तैल (चिप्स तलने के लिए),
- खाद्य नमक और
- खाद्य मसाले
घर पर चिप्स कारोबार शुरू करने के लिए आवश्यक मशीन व उपकरण-
- चिप्स काटने की मशीन (मैनुअल मशीन)
- स्टील की छन्नी
- स्टील/लोहे की कढ़ाई
- प्लास्टिक ट्रे (तला हुआ चिप्स रखने के लिए)
- बड़ा टब या पात्र (चिप्स में फ्लेवर/मसाला मिलाने के लिए)
- हीट सीलिंग मशीन (पाउच या पैकेट को सील बंद करने ले लिए)
- किचन थर्मामीटर (तैल का तापमान मापने के लिए)
- भट्टी, हीटर या गैस स्टोव
घर पर चिप्स बनाने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपकरण-
चिप्स बनाने की प्रक्रिया में गर्म तैल कढ़ाई या बैच फ्रायर से उछलता/उछल सकता है जो त्वचा के संपर्क में आकर शारीरिक अंगों को क्षति पहुंचा सकता है, इसलिए ये सुरक्षा उपकरण अनिवार्य रूप से धारण करना जरूरी है-
- Apron
- Eye Protection Spectacles (पारदर्शी चश्मे)
- Thick Hand Gloves (रबर के मोटे दस्ताने)
- Face Mask (चेहरे को सुरक्षा के लिए मास्क) और
- Rubber Boots (रबर के जूते)
घर पर कच्चे आलू के चिप्स बनाने की विधि (Chips Making Process)-
चिप्स बनाना बेहद ही आसान है। यदि आपको चिप्स बनाना नहीं आता है तो आप अपने घर की किसी वयस्क महिला से पूंछ सकते/सकती हैं, या फिर आप YouTube पर मौजूद Chips Making Process के वीडियो देखकर सीख सकते/सकती है।
यहां हम कच्चे आलू के चिप्स बनाने की विधि का उल्लेख नहीं करेंगे, लेकिन व्यवसायिक तौर चिप्स निर्माण के कुछ आवश्यक चरणों का ही उल्लेख करेंगे। मसलन चिप्स तलने के लिए तैल का तापमान कितना होना चाहिए? यह बेहद जरूरी है क्योंकि कच्चे माल को चिप्स में परिवर्तित करने का काम तलने की प्रक्रिया द्वारा किया जाता है,
घर पर आलू चिप्स बनाने के लिए तलने वाले तैल का तापमान 270 डिग्री से 310 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए (यह तापमान इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपने चिप्स कितनी मोटाई के काटे हैं), सामान्य तौर पर वेफर्स (पतले चिप्स) 50 सेकेंड से लेकर 90 सेकेंड तक ही तले जाते हैं।
तेल में पक या तल जाने के बाद चिप्स खाने लायक तैयार हो जाता है, लेकिन बाजार/मार्केट में बिक्री हेतु भेजने से पहले इन तले हुए चिप्सों को चटपटे व बेहद स्वादिष्ट, मसालों के मिश्रण (रेसिपी) से लबरेज़ किया जाता है, जो ग्राहक और उपभोक्ताओं को आपके ब्रांड का उत्पाद खरीदने के लिए एक विवश भी कर सकता है।
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बड़े स्तर पर चिप्स कारोबार शुरू करने के लिए मशीनरी व बनाने की विधि-
यदि आप चिप्स कारोबार/व्यवसाय को बड़े स्तर पर शुरू करना चाहते/चाहती हैं तो आपको कुल …. मशीनों की जरूर होगी। ये मशीने हैं-
- Washing & Peeling Machine– (कीमत- …… रुपए से शुरू) बाजार से खरीदे गए आलूओं को धोने और छीलने का काम इस मशीन के माध्यम से किया जाता है।
- Slicer Machine– (कीमत- …… रुपए से शुरू) इस मशीन की सहायता से आलू को चिप्स में काटा जाता है। इस मशीन में आप चिप्स की मोटाई को इच्छानुसार घटा-बढ़ा सकते/सकती हैं। साथ ही सादे या zigzag पैटर्न भी दे सकते/सकती हैं।
- Dryer Machine– (कीमत- …… रुपए से शुरू) चिप्स के कट जाने के बाद इन कटे हुए चिप्सों में से ड्रायर मशीन की सहायता से सारा पानी निकाल दिया जाता है, उत्तम गुणवत्ता के चिप्स बनाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण चरण है।
- Batch Fryer– (कीमत- …… रुपए से शुरू) चिप्सों से सारा पानी निकाल जाने के बाद इन चिप्सों को fry करने के लिए Batch Fryer मशीन की मदद ली जाती है। Batch Fryer में खाद्य तेल को भर कर पहले प्री हीट किया जाता है, प्री हीट हो जाने के बाद ही इसमें चिप्सों को fry या तला जाता है।
नोट- व्यवसायिक तौर पर खाद्य तेल के रूप में कनोला ऑयल या सूरजमुखी तेल का उपयोग किया जाता है। आप अपनी इच्छानुसार किसी भी खाद्य तेल का चुनाव कर सकते/सकती हैं।
- Salt/Spice/Flavored Coating Machine– (कीमत- …… रुपए से शुरू) इस मशीन की सहायता से चिप्स पर स्वादिष्ट फ्लेवर की कोटिंग की जाती है। चिप्स कारोबार में सबसे अहम भूमिका चिप्स के स्वाद की होती है, चटपटी और स्वादिष्ट रेसिपी का निर्माण उत्तम क्वालिटी के मसालों से किया जाता है।
आज बाजार या मार्केट में दो तरह के फ्लेवर मिलते हैं-
- Salted फ्लेवर – जिसे प्लेन/सादा फ्लेवर भी कहा जाता है और दूसरा…
- चटपटे फ्लेवर- जिसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। विशेषकर बच्चों के बीच सबसे ज़्यादा लोकप्रिय और पसंदीदा। चटपटे फ्लेवर की रेसिपी पाने के लिए हमारे Telegram चैनल से जुड़ें।
सुझाव- यदि आप छोटे स्तर पर चिप्स का व्यवसाय शुरू कर रहे है तो आप शुरुवाती कुछ महीनों तक प्लेन/सादे और एक या दो फ्लेवर से ही शुरू करें। जैसे जैसे चिप्स की मांग बढ़े आप और फ्लेवर के उत्पाद भी बाजार में उतारें।
- Weighing Scales– (कीमत- 3500 रुपए से शुरू)- छोटे या बड़े स्तर पर चिप्स व्यवसाय को शुरू करने के लिए एक डिजिटल वेट मशीन की जरूरत होती है, जिससे चिप्सों की भार मात्रा को निश्चित कर पैक किया जाता है।
- Pouch Vacuum Sealing Machine (Manual or Automatic)- (कीमत- …… रुपए से शुरू) छोटे स्तर पर चिप्सों को हाथों से हीट सीलिंग मशीन से एक-एक कर पाउच पैक किया जाता है। जबकि बड़े स्तर पर चिप्स की पैकिंग का काम पूरी तरह से ऑटोमेटिक मशीन (कीमत- …… रुपए से शुरू) से किया जाता है।
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नोट- उपरोक्त मशीनों का चुनाव आप अपने कारोबार/व्यवसाय की कार्यक्षमता आधार पर ही करें।
उपरोक्त मशीनरी को आप अपने लोकल मार्केट से ले सकते/सकती हैं यदि लोकल बाजार में यह मशीने नहीं मिल पा रही हैं तो इस आप ऑनलाइन भी नीचे दी गई वेबसाइटस से खरीद सकते/सकती हैं-
- www.dir.indiamart.com
- www.amazon.com या फिर आप जिसे जानते हैं वहाँ से ऑर्डर दे सकते/सकती हैं।
चिप्स की पैकिंग तैयार करना-
किसी भी Product की पैकिंग उसके ब्रांड वैल्यू को बनाने और बढ़ाने का काम करती है। चिप्स के कारोबार में पैकिंग का सबसे मुख्य काम होता है, व्यवसायिक तौर पर पैकिंग बनाने में अधिकतर भड़कीले रंगों का ही उपयोग किया जाता है।
ऐसा इसलिए क्योकि चिप्स के सबसे पहले उपभोक्ता या ग्राहक छोटे बच्चे होते हैं जो प्राय: भड़कीले रंगों की ओर सबसे ज़्यादा आकर्षित होते हैं।
पैकिंग बनवाने के लिए आप सबसे पहले अपने क्षेत्रीय प्रिंटर्स/मुद्रक से संपर्क करें, यदि आपके क्षेत्र में प्रिंटिंग व डिज़ाइनिंग आदि का काम नहीं होता है तो पैकिंग बनवाने के लिए आप इंटरनेट पर मौजूद वेबसाइटो की मदद ले सकते/सकती है.
सुझाव-
- चिप्स पैकिंग की डिजाइन के लिए किसी जानकार ग्राफिक्स डिजाइनर की सहायता जरूर लें। साथ ही उत्पाद बनाने में उपयोग किए गए घटकों का उल्लेख उत्पाद की पैकेजिंग पर अनिवार्य रूप से करें।
- व्यापार की शुरुवात आप खुदरा बाजार में छोटे पाउच से ही शुरू करें.
- बाजार में Product की खपत का आंकलन कर आप बड़े ग्राम या पाउच के प्रोडक्ट/उत्पाद उतार सकते/सकती हैं.
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चिप्स कारोबार स्थापित करने के लिए वांछित स्थान-
छोटे स्तर पर-
छोटे स्तर या घर से चिप्स कारोबार/व्यवसाय को शुरू करने के लिए कम से कम 70 से 80 वर्ग फुट के स्थान की जरूरत होती है। जहां कच्चे माल को तैयार करने से लेकर पैकिंग तक पूरा काम हाथों से किया जाता है।
बड़े स्तर पर-
वहीं यदि आप चिप्स कारोबार को बड़े स्तर पर करना चाहते/चाहती हैं तो आपको कम से कम 1,500 से 2,500 वर्ग फुट स्थान की आवश्यकता होगी। जहां चिप्स बनाने की सभी मशीनों के स्थान निर्धारित होने के साथ कच्चे व तैयार माल को सुरक्षित रखने के स्थान भी निर्धारित हों। साथ ही इस स्थान पर बिजली, पानी और कूड़ा निस्तारण आदि की उचित व्यवस्था का होना भी अनिवार्य है।
नोट- बड़े स्तर पर चिप्स बनाने का कारोबार (chips making business) शुरू करने के लिए मशीनरी आदि के complete setup पर लागत 05 लाख से शुरू होकर 30 लाख या इससे भी ऊपर जा सकती है।
चिप्स कारोबार में कर्मियों की आवश्यकता (Required Manpower)-
बड़े स्तर पर चिप्स कारोबार शुरू करने पर आपको कम से कम 04 कर्मियों (मैनपावर या लेबर) की जरूरत होती है, ये कर्मचारी मैनेजर, सेल्समैन, रेसिपी मेकर और लेबर आदि हो सकते हैं.
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चिप्स कारोबार का पंजीकरण या लाइसेंस कहां से लेना है (Business Registration)-
कोई भी व्यवसाय या कारोबार शुरू करने से पहले एक उद्यमी को अपने व्यवसाय या कारोबार की कम्पनी या फर्म का पंजीकरण कराना अनिवार्य है, क्योंकि व्यापार को शुरू करने के लिए पहला मानक पंजीकरण या रजिस्ट्रेशन लेना है. पंजीकरण या रजिस्ट्रेशन के बाद ही आप अपने उत्पाद का प्रचार मार्केट/बाजार में कर सकते/सकती हैं.
चिप्स व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको इन लाइसेंसों को लेना जरूरी है-
- Firm Registration (फर्म का पंजीकरण- स्वामित्व या पार्टनर शिप)
- MSME Registration (सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योग पंजीकरण)
- GST Registration (जीएसटी पंजीकरण)
- Trade License (ट्रेड लाइसेंस)
- Trademark License (ट्रेड मार्क लाइसेंस)
- FSSAI License (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण पंजीकरण)
- IEC Code (आईईसी कोड)- यदि आप निर्यात करना चाहते हैं तो आईईसी कोड लेना अनिवार्य है।
छोटे स्तर पर या घर से शुरू करने के लिए आप केवल भारत सरकार द्वारा विकसित किये गए उद्यमी पोर्टल MSME पर अपने व्यापार की लागत के अनुरूप सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग अंतर्गत किसी एक श्रेणी में पंजीकरण करा सकते/सकती हैं, साथ ही आपको टैक्स आदि के लिए GST No. भी लेना अनिवार्य है। भविष्य में जब आपका कारोबार बढ़ेगा, आपको बाकी के पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
चिप्स कारोबार की मार्केटिंग करना (Marketing in Chips Business)-
चिप्स कारोबार/व्यवसाय लगभग मार्केटिंग आधरित बिजनेस है, इस बिजनेस में जितनी अच्छी मार्केटिंग की जाती है, परिणाम में उतना अच्छा मुनाफा भी मिलता है. यदि आप छोटे स्तर से चिप्स बिजनेस शुरू कर रहे हैं तो छोटे स्तर पर बिजनेस करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सबसे पहले अपने आस-पास के किराना दुकानों या स्टोर्स की ओर रुख करें, क्योंकि आपके पास के किराना दुकानें आपको अच्छे से जानते होंगे, जिससे आपके माल के खपत होने कि संभावना बढ़ जाती है।
छोटे स्तर पर प्रचार के लिए आप अपने बाजार क्षेत्र में जगह-जगह पर पोस्टर, बैनर, फ्लैक्स व स्टीकर आदि चस्पा करवा सकते हैं, साथ ही अखबार में पैम्पलेट डलवाकर प्रचार कर सकते हैं।
वहीं यदि आपने बड़े सर पर चिप्स कारोबार या बिजनेस शुरू किया है तो बड़े स्तर के विज्ञापनों को ध्यान देने की जरूरत है. बड़े विज्ञापन जैसे- अखबार पृष्ठ, पत्रिका पृष्ठ और TV विज्ञापन और Digital Marketing आदि का सहारा ले सकते/सकती हैं।
इसके साथ ही यदि आप स्वयं मार्केटिंग करने में समय नहीं दे पा रहे हैं तो किसी नामी मार्केटिंग एजेंसी या संस्था से अपने उत्पाद की मार्केटिंग करवा सकते/सकती हैं. हां यह बात सही है कि किसी मार्केटिंग एजेंसी या संस्था से मार्केटिंग करवाने में अच्छा-खासा खर्च आता है, लेकिन आपके उत्पाद की ब्रांड वैल्यू भी बढ़ने लगती है, लोग आपके प्रोडक्ट को अच्छे से जानने और पहचानने लगते हैं.
बड़े-बड़े नामी ब्रांड जो आज बाजार पर राज कर रहे हैं उन्होंने अपने उत्पाद की मार्केटिंग बहुत अच्छे से करी है या करवाई है. तो अब चुनाव आपका है कि आप अपने उत्पाद का प्रचार-प्रसार या मार्केटिंग कैसे करना अथवा करवाना चाहते/चाहती है.
चिप्स बिजनेस में अपने प्रतिस्पर्धी को पहचानना (Identify your competitor)-
जब आप अपने उत्पाद को बाजार/मार्केट में उतरेंगे तो बाज़ार में आपको पहले से ही आपके उत्पाद के प्रतिस्पर्धी मिलेंगे। हो सकता है कि यह आपको कभी कभी हतोत्साहित कर सकता है लेकिन इससे घबराने की बात नहीं है आपको अपने प्रतिस्पर्धी को चुनना होगा और अपने उत्पाद को बेहतर से बेहतर बनाना होगा।
जब आप अपने प्रतिस्पर्धी को चुन/पहचान लेते हैं तो आपको एक मकसद मिल जाता है और आप अपने मकसद को पूरा करने के लिए पूरी तन्मयता से लग जाते हैं। एक सफल व्यापारी का यही लक्षण होता है कि वह अपने मकसद, अपने लक्ष्य को समर्पित होता है।
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मनोविज्ञान के अनुसार भी यह बात पूरी तरह से सिद्ध हो कि “जब हम किसी से competition करना शुरू करते हैं, तो हमारा दिमाग सामान्य की अपेक्षा तेज गति से कार्य करने लगता है, और हमेशा नए-नए विचार उत्पन्न करने लगता है. जिससे हमारी कार्य क्षमता (productivity) बढ़ जाती है.”
चिप्स कारोबार शुरू करने के लिए लोन (Loan for Chips making business)-
लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने मेक इन इण्डिया के तहत प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY), कौशल विकास योजना व प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) आदि के माध्यम आपको आसानी से ऋण/लोन मिल सकता है. इसके लिए आपको अपनी कंपनी या फर्म के पंजीकरण संख्या से सरकारी योजनाओं के तहत आवेदन करना होगा.
सरकारी योजनाओंके तहत लघु उद्योग हेतु ऋण/लोन लेने के लिए आप अपने क्षेत्रीय/स्थानीय सरकारी बैंक की शाखा से आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
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चिप्स बिजनेस में मुनाफा (Profit in Chips making business)-
मुनाफा या लाभ शब्द मौलिक तौर पर एक ऐसा शब्द है जो हर किसी को एक नई प्रेरणा देता है. कुरकुरे चिप्स कारोबार में मुनाफे की कोई सीमा तय नहीं है, चिप्स जैसे बिजनेस में मुनाफा पूरी तरह से आपकी मार्केटिंग पर निर्भर करता है, सामान्य तौर पर खुदरा मार्केट में 5 रुपए के एक पाउच पर 85 पैसे से लेकर 01 रूपए तक मुनाफा कमाया जा सकता है.
वहीँ यदि बड़े स्तर पर मुनाफे की बात करें तो हर महीने 30,000 से 1,00,000 रूपए या इससे भी ऊपर हर महीने कमाया जा सकता है. (यह संभावित धनराशि एक चिप्स कारोबारी द्वारा बताई गई है)
चिप्स कारोबार में सबसे बड़ा जोखिम क्या होता है?
अमूमन चिप्स कारोबार ही नहीं लगभग वे सभी बिजनेस जिसमें खाद्य सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है, उन सभी में उत्पाद की एक्सपायरी का सबसे बड़ा जोखिम होता है.
इससे और अन्य तरह के व्यवसाय से सम्बंधित जोखिमो से बचने के व्यवसाय को अपने बिजनेस की इंश्योरेंस पालिसी (Business Insurance Policy) बनाने अथवा विकसित करने की आवश्यकता है.
चिप्स कारोबार/व्यापार के अवसर और क्षमता (Chips Business Opportunities and Potential)-
आज जैसे-जैसे अधिकतर लोग फास्ट फूड और स्नैक आदि पर निर्भर होते जा रहे है, चिप्स की मांग भी बढ़ रही है। एक आंकलन के आधार पर अनुमानित अथवा संभावित है कि भारतीय बाजारों में हर साल करीब 4 फीसदी आलू चिप्स की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
आलू चिप्स बनाने का व्यवसाय एक लाभदायक लघु उद्योग सिद्ध हो चुका है। चिप्स व्यवसाय के सभी तथ्यों व घटकों का आंकलन करने पर यह कहा जा सकता है कि चिप्स का कारोबार शुरू करना एक उच्च लाभ देने वाला व्यापारिक विकल्प है. जिसे व्यक्ति अपने घर से भी शुरू कर सकता है.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-
चिप्स की पैकिंग में कौन सी गैस भरी जाती है?
चिप्स की पैकिंग नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल किया जाता है. नाइट्रोजन गैस चिप्सों के कुरकुरे और स्वाद को लम्बे समय तक बाये रखती है.
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अंत में-
एक हल्के और स्वास्थ्य वर्धक भोजन विकल्प के रूप में माने जाने के साथ किफ़ायती, स्वादिष्ठ और हर जगह आसानी से उपलब्ध होने के कारण आलू चिप्स की मांग और लोकप्रियता बढ़ रही है और निकट भविष्य में चिप्सों की मांग काफी बड़े स्तर पर और भी बढ़ने की सम्भावना है.
नोट- किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले बाजार/मार्केट रिसर्च एवं खपत का आंकलन अनिवार्य रूप से अवश्य करें. ऐसा करने से आपको व्यवसाय में आने वाले जोखिम और दिक्कतों का सामना करने में आसानी हो जाएगी और बाजार में डिमांड के अनुरूप आप अपने products का निर्माण भी अच्छे से कर पाएंगे.
आशा है आपको इस लेख घर से कैसे शुरू करें चिप्स का कारोबार से चिप्स व्यवसाय, व्यापार और कारोबार के बारे में पूरी जानकारी जरूर मिली होगी, साथ ही… यदि कुछ छूट गया हो या कुछ पूछना चाहते हों तो कृपया comment box में जरूर लिखें. तब तक के लिए-
“शुभकामनाएं आपके कामयाब और सफल व्यापारिक भविष्य के लिए.”
धन्यवाद!
जय हिंद! जय भारत!