Product Manufacturingआटे का व्यवसाय कैसे शुरू करें | Atta/Flour Manufacturing Business in hindi

आटे का व्यवसाय कैसे शुरू करें | Atta/Flour Manufacturing Business in hindi

आटे का व्यवसाय/कारोबार (Atta/Flour Manufacturing business), आटे का व्यापार कैसे करें?, व्यवसाय का महत्व, लागत, atta business plan, संभावनाएं और व्यवसाय में मुनाफा

हमारी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले उत्पाद जो मौजूदा बाजार में बड़ी संख्या और विविधता में मौजूद हैं के व्यवसाय/कारोबार या उद्यम की शुरुआत करना, हमेशा से सदाबहार वाले कारोबार का द्योतक रहा है।

साथ ही इनमें से अधिकांश उत्पाद ऐसे होते हैं जिनका उत्पादन छोटे व बड़े स्तर पर किसी भी नए व उभरते हुए उद्यमी/कारोबारी के द्वारा आसानी से और कम पूँजी निवेश द्वारा शुरू किया जा सकता है। ऐसा ही एक उत्पाद है ‘आटा’।

और आज इस पोस्ट “आटे का व्यवसाय कैसे शुरू करें” के माध्यम से हम आपके साथ atta/flour manufacturing business idea के बारे में विस्तृत जानकारी साझा करने जा रहे हैं, यदि आप आटे के कारोबार में आना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके उज्जवल भविष्य के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है. तो चलिए शुरू करते हैं-

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आटे का व्यवसाय कैसे शुरू करें | Atta/Flour Manufacturing Business

‘आटा’ जो आज हर घर की प्राथमिक जरूरतों में से एक है, और देखा जाए तो आज धरती पर जो प्रजाति (मनुष्य) एकछत्र राज कर रही है, वह अपने प्राथमिक भोजन के रूप में फसलों से प्राप्त अनाजों को प्रोसेस कर बनाए गए चूर्ण (आटे) को ही ले रही है।

इन सब बातों और तथ्यों का व्यवसायिक दृष्टी से आंकलन करने पर यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि भोजन के रूप में लिए जा रहे आटे का व्यवसाय (atta/flour manufacturing business) जिसमें लगभग 12% की संभावित बढ़ोत्तरी हो रही है, को शुरू करना सदैव ही एक लम्बे समय तक लाभ देने वाला कारोबार सिद्ध हो चुका है।

तो अब प्रश्न उठ खड़ा होता है कि आटा जो हम इंसानों के प्राथमिक भोजन में से एक है, को तैयार करने के लिए किन-किन अनाजों का चुनाव किया जाता है?

साथ ही अनाजों का चुनाव कर लेने के पश्चात् अनाजों को पीस कर छोटे व बड़े व्यवसायिक स्तर पर आटा तैयार करने की प्रक्रिया (flour making process) में किन-किन और कितने तरह की मशीनों की आवश्यकता होगी? इसके अलावा अन्य घटक जैसे- वांछित स्थान, पंजीकरण और कितने कर्मचारियों की आवश्यकता होगी?

आटे का व्यवसाय बड़े व छोटे स्तर पर शुरू करने के लिए यह जरूरी है कि इच्छुक उद्यमी/व्यवसायीय/कारोबारी अच्छे से atta/flour manufacturing business plan को समझे और समझकर ही आटे के कारोबार में निवेश करे. तो चलिए शुरू करते हैं आटे के व्यवसाय की विस्तृत जानकारी पर चर्चा-

Table of Content

आटा तैयार करने के लिए गेहूं का चयन-

आज बाजार में हमें गेहूं से आटा (wheat flour) तैयार करने के लिए 02 तरह के गेहूं देखने को मिलते हैं-

  1. हाइब्रिड गेहूं– वैज्ञानिक पद्धतियों से तैयार किया गया गेहूं हाइब्रिड गेहूं कहलाता है. यह गेहूं बीज कम मात्रा में अधिक पैदावार करता है. चूँकि वर्तमान बढ़ती जनसंख्या के कारण भोजन अकाल जैसी समस्या संकट से निपटने के लिए हाइब्रिड गेहूं को विकसित किया गया है.
  2. पारंपरिक गेहूं– यह बिलकुल शुद्ध गेहूं होता है, इसके बीज किसी भी तरह की कोई छेडछाड नहीं की जाती. यदि इस गेहूं को प्राकृतिक उर्वरकों की सहायता से उगाया जाए तो इस गेहूं में जबरजस्त ताकत होती है. आपने कई बुजुर्गो से सुना जरूर होगा कि शरीर को मजबूत बनाना है तो देशी रोटी खाओ”. असल में वे इस पारंपरिक गेहूं की बात को मुहावरों की भाषा में करते हैं.

आटे का व्यवसाय शुरू करने के लिए अनाजों का चयन-

मौजूदा बाजार/मार्केट में अमूमन उपयोगिता व आवश्यकता के आधार पर कई तरह के अनाजों को पीसकर तैयार किया गया आटा देखने को आसानी से मिल जाता है। जैसे-

  1. गेहूं का आटा (सबसे प्राथमिक जरूरत)
  2. चने का आटा, जिसे साधारण रूप से हम बेसन के नाम से जानते हैं।
  3. दालों का आटा (आवश्यकतानुसार लगभग सभी प्रकार की दालें)
  4. कुट्टू का आटा, सिंगाढ़े का आटा, चावल का आटा और
  5. जौ, बाजरा, ज्वार आदि देशी अनाजों का आटा

आज घरों में जिस रोटी को हम अपने प्राथमिक भोजन में खाते हैं वह असल में 02 तरह के आटे से बनी हो सकती है-

  1. साधारण आटा- यह आटा केवल 01 ही तरह के अनाज को पीस कर तैयार किया जाता है।
  2. मल्टीग्रेन आटा (multigrain atta)- जैसा कि नाम से ही जाहिर है, इस आटे को कई सारे अनाजों के मिश्रण से तैयार किया जाता है। मल्टीग्रेन आटा दिखने में लगभग साधारण आटे की तरह ही दिखता है लेकिन मल्टीग्रेन आटा खाने में साधारण आटे की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट होने साथ कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। पोषक तत्व जो हमारे शरीर को स्वस्थ्य रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, और बहुत जरूरी होते हैं।

व्यवसायिक तौर पर दोनों तरह के आटे का उत्पादन किया जाता है और दोनों ही तरह के आटे आपको बाजार में देखने को मिलते भी है। 100 करोड़ भारतीयों में से आज भी लगभग 90 प्रतिशत लोग अपनी रोजाना की रोटी में साधारण आटे को ही प्रयोग लेते हैं,

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इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन आज जिस तरह से बीमारियों की मारक क्षमता पहले के मुकाबले काफ़ी हद तक बढ़ चुकी है, इसको ध्यान में रखते हुए हमें अपने भोज्य पदार्थों को कई तरह के ताकतवर पोषक तत्वों से भरपूर बनाने की जरूरत है।

तो अब फिर से प्रश्न उठता है कि हम अपने साधारण आटे को मल्टीग्रेन आटे में कैसे बदलें? देखिए! यदि आप अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने वालों में से हैं या फिर व्यवसायिक तौर पर आटे का व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक हैं तो आपने YouTube पर ढेरों वीडियो जरूर खंगाले होंगे, पर हो सकता है कि आपको अभी भी संतुष्टि न मिली हो? खैर…

देखिये! व्यक्तिगत व व्यवसायिक तौर पर यदि आप आटे का उत्पादन अथवा आटे का कारोबार/बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो यह बेहद ही जरूरी हो जाता है कि आप अनाजों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की केमिस्ट्री को अच्छे से समझे- विशेषकर गेहूं को जो कि आटा तैयार करने के लिए पहला घटक है, जिसमें ग्लूटन (Gluten) नामक प्रोटीन बड़ी मात्रा में पाया जाता है।

ग्लूटन क्या होता है (What is Gluten)-

ग्लूटन एक तरह प्रोटीन होता है जो आटे में बाईन्डर का काम करता है। जब आटे में पानी या किसी तरल को मिलाकर गूँथा अथवा माढ़ा जाता है तो जो आटे को चिपकने व खिचाव की क्षमता प्रदान करता है वह ग्लूटन होता है। गेहूं को पीस कर तैयार आटे को छानने से 02 तरह के घटक प्राप्त होते हैं-

  1. छाना हुआ आटा
  2. चोकर (सामान्य तौर पर चोकर वह अतिरिक्त ग्लूटन होता हो जो छानकर अलग कर दिया जाता है, यह चोकर पशुओं और मवेशियों के भोजन आदि के लिए उपयोग में लिया जाता है। यह अतिरिक्त चोकर (ग्लूटन) विशेषकर दुधारू पशुओ के चारे में मिलाकर दिया जाता है।)

मल्टीग्रेन आटा बनाने की रेसिपी (Multigrain Atta Ingredients)-

साधारण आटे से मल्टीग्रेन आटे (multigrain atta ingredients ratio) को बनाने के लिए यह जरूरी है कि आप उन अनाजों को समझे जिनको मिलाकर मल्टीग्रेन आटा तैयार किया जाता है और इसे घर (making multigrain atta at home) पर भी आसानी से बनाया जा सकता है-

  1. गेहूं – 2.50 किलोग्राम
  2. मक्का – 100 ग्राम
  3. रागी – 100 ग्राम
  4. ज्वार – 50 ग्राम (वैकल्पिक)
  5. बाजरा – 50 ग्राम
  6. तिल – 10 ग्राम (वैकल्पिक)
  7. जौ – 20 ग्राम (वैकल्पिक)
  8. सेंधा नमक – 05 ग्राम (वैकल्पिक)
  9. सोयाबीन – 50 ग्राम (वैकल्पिक)
  10. चना – 100 ग्राम

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उपरोक्त बताई गई अनाजों की रेसिपी के अनुसार पीसकर तैयार किया गया आटा मल्टीग्रेन आटा कहलाता हैं। मल्टीग्रेन आटे के उपयोगिता (multigrain atta benefits) की बात करें तो यह आटा साधारण आटे की अपेक्षा कई प्रोटीनो और पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसका सेवन करने से हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम पहले से और भी मजबूत हो जाता है।

सुझाव-

  • उपरोक्त रेसिपी में कुल 10 तरह के आनाज बताए गए हैं, आप अपनी इच्छानुसार किसी भी कम से कम 05 अनाजों का चयन करें, मल्टीग्रेन आटा बनाने के लिए।
  • व्यवसायिक दृष्टी से भी आंकलन करने पर मल्टीग्रेन आटे का व्यवसाय (multigrain flour business) शुरू करना लाभकारी विकल्पों में से एक है और यह एक अच्छा मुनाफा भी देता है।
  • बड़े स्तर पर आटे का उत्पादन करने के लिए बताई अनाजों की मात्रा को गुणन (अनुपात) के आधार पर बढाया जा सकता है।

आटा व्यवसाय के लिए आवश्यक स्थान (Required Area)- 

छोटे व बड़े स्तर पर आटे का व्यवसाय शुरू करने के लिए अलग-अलग स्थान फैलाव की आवश्यकता होती है-

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छोटे स्तर पर

आटे का व्यवसाय शुरू करने के लिए कम से कम 300 से 500 वर्ग फुट स्थान की जरूरत होती है। यदि आपके घर पर पर्याप्त स्थान मौजूद है तो आटा बनाने का काम आप अपने घर (atta manufacturing business from home) से भी शुरू कर सकते हैं।

नोट- घर पर आटा तैयार करने से पहले यदि आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो उनकी सुरक्षा जरूर सुनिश्चित कर लें।

मल्टीग्रेन बनाम साधारण आटा

मल्टीग्रेन आटा और साधारण आटे में काफी अंतर होता है जब आप अलग-अलग प्रकार के अनाजों का मिश्रण करते हैं तो यह अन्य साधारण आटे की तुलना में अधिक पोषण से भरपूर हो जाता है, इसे मल्टीग्रेन आटा कहते हैं। नीचे कुछ बुनियादी जानकारी दी जा रही है जो मल्टीग्रेन और साधारण आटे के बीच का अंतर स्पष्ट करती है:

साधारण आटा:
गुणधर्म:
साधारण आटा मुख्य रूप से गेहूं अंशों से बना होता है, यह केवल एक तरह के अनाज से बना होता है।

पोषण:
साधारण आटा में गेहूं का आटा होता है जिसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स और सामान्य मिनरल्स (जो गेहूं में) होते हैं, लेकिन इसमें अन्य अनाजों का योगदान नहीं होता है।

मल्टीग्रेन आटा:
गुणधर्म:
मल्टीग्रेन आटा बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के अनाजों का मिश्रण किया जाता है, जैसे कि गेहूं, जौ, चावल, बाजरा और अन्य अनाज।

पोषण:
मल्टीग्रेन आटे में गेहूं के अलावा अन्य अनाजों का भी मिश्रण होता है, जिससे पोषण में वृद्धि होती है। विभिन्न अनाजों के तत्व आपस में मिलकर विभिन्न प्रकार के प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स एक शक्तिशाली मिश्रण को तैयार करते जिसे साधारण शब्दों में मल्टीग्रेन आटा कहा जाता है।

फायदे:
मल्टीग्रेन आटा विभिन्न अनाजों के संयोजन से आए फायदों के लिए जाना जाता है, जैसे कि अधिक पोषण, अधिक फाइबर और विभिन्न  प्रकार की शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।

सामान्य सावधानियां:
यह जरूरी है कि आप जिस भी आटे का चयन कर रहे हैं, उसे अच्छी तरह से परख लें, उसकी पैकेजिंग पर दी गई जानकारी को अच्छे से पढ़ें।

अपने आहारिक आवश्यकताओं और स्वास्थ्य स्थिति के हिसाब से योजना बनाएं और उचित पोषण प्राप्त करने के लिए सलाह चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें।

पैकिंग आटा में कीड़े या सड़ता क्यों नही है?

आज बड़े-बड़े नामी आटा ब्रांड कैसे इतनी बड़ी मात्रा में स्टोर कर रहे हैं? इसका मुख्य घटक एक केमिकल है, जिसका नाम “बेंजोयलपर ऑक्साइड” है, जिसे ‘फ्लोर इम्प्रूवर‘ भी कहा जाता है।

बड़े स्तर पर-

वहीं यदि आप बड़े स्तर पर कमर्शियल आटा चक्की लगाकर आटे का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कम से कम 5,000 से 10,000 वर्ग फुट स्थान की आवश्यकता होगी। जहां चयनित क्षेत्र पूरी तरह से प्रदूषण, धूल, मिट्टी व बारिस से संरक्षित होना जरूरी है।

साथ ही इस चयनित स्थान/क्षेत्र को ऐसे डिजाइन किया जाना चाहिए जिसमें मशीनों के स्थान फिक्स हों और कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पाद को सुरक्षित रखने के स्थान सुव्यवस्थित किए गए हों। आपके कार्य स्थल पर बिजली व पानी की उपलब्धता का होना अनिवार्य है, क्योकि बड़े स्तर पर आटा बनाने के लिए ये दोनों घटकों का होना प्राथमिक चरण में से एक है।

बिजली की आवश्यकता (Require Electricity)-

आटा तैयार करने वाली मशीनों के सुगम संचालन के लिए कम से कम 05 से 80 किलोवॉट क्षमता के बिजली कनेक्शन की अवश्यकता होती है। यह क्षमता मशीनों के चयन आधार पर भी सुनिश्चित/निर्धारित की जा सकती है, साथ ही प्लांट में बिजली को नियंत्रित व पर्याप्त आपूर्ति के लिए बिजली पैनल आदि उपकरणों का होना जरूरी है।

कर्मियों की आवश्यकता (Require Manpower)-

बड़े स्तर के किसी भी कारोबार में कर्मियों की आवश्यकता तो पड़ती ही है, अत: बड़े स्तर पर आटा कारोबार शुरू करने पर आपको कम से कम 07 से 15 कर्मियों (मैनपावर या लेबर) की जरूरत होती है, ये कर्मचारी मैनेजर, मार्केटर/सेल्समैन और कुशल लेबर/सफाई कर्मी आदि हो सकते हैं.

सुझाव-

  • बड़े स्तर पर कम से कम 05 कुशल (skilled) लेबर की जरूरत होगी, जो मशीनों का संचालन करना जानते हों.
  • छोटे स्तर पर कम से कम 02 कुशल (skilled) लेबर की जरूरत होगी, जो मशीनों का संचालन करना जानते हों.

आटा तैयार करने के लिए मशीनरी (Atta/Flour Making Machines)-

आटे का व्यवसाय मशीनरी के आधार पर देखा जाए तो 02 स्तरों पर देखने को मिलता है-

छोटे स्तर (घरेलू/स्थानीय) पर (Local Atta Commercial Machine)-

जहां केवल एक आटा चक्की (कीमत- 40,000 रूपए से शुरू) लगाकर ग्राहकों के अनाज की पिसाई की जाती है और इस पिसाई पर प्रति किलोग्राम दर से मुनाफा कमाया जाता है। इसके अलावा आपको एक डिजिटल वेट मशीन (कीमत- 18,000 रूपए से शुरू)- Heavy Duty Weighing Scale की भी आवश्यकता होगी.

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बड़े स्तर पर (Commercial Atta Machine for Big Scale)-

व्यवसायिक बड़े स्तर पर अनाजों को पीसकर आटा तैयार करने के लिए अलग-अलग मशीनों का चुनाव किया जाता है-

  1. फ़िल्टर मशीन-छानने के लिए (कीमत- 75,000 रूपए से शुरू)- Heavy Duty Powder Filter Machine
  2. कमर्शियल आटा चक्की (कीमत- 65,000 रूपए से शुरू)- Heavy Duty Flour Mill Machine
  3. डिजिटल वेट मशीन (कीमत- 18,000 रूपए से शुरू)- Heavy Duty Weighing Scale
  4. पैकिंग मशीन (कीमत- 3.50 लाख रूपए से शुरू)- Wheat Flour Packing Machine (01 kg to 50 kg)

कहां से खरीदें (Where to Buy)-

उपरोक्त मशीनरी को आप अपने लोकल मार्केट से ले सकते हैं यदि लोकल बाजार में यह मशीने नहीं मिल पा रही हैं तो इस आप ऑनलाइन भी नीचे दी गई वेबसाइटस से खरीद सकते हैं-

  1. indiamart.com
  2. alibaba.com
  3. या फिर आप जिसे जानते हैं वहाँ से ऑर्डर दे सकते/सकती हैं।

नोट

  • उपरोक्त मशीनों का चुनाव आप अपने कारोबार/व्यवसाय की कार्यक्षमता आधार पर ही करें।
  • उपरोक्त बताई गई कीमतें मार्केट रिसर्च के आधार पर हैं, बाजार के उतार-चढ़ाव के कारण ये कीमतें घट अथवा बढ़ सकती हैं.

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बड़े स्तर पर आटा तैयार करने की प्रक्रिया (Process of Atta/flour Making)-

व्यवसायिक तौर पर अनाजों का चयन कर लेने के बाद आटा तैयार करने की प्रक्रिया को … चरणों में पूरा किया जाता है-

  1. फसल हार्वेस्टिंग के बाद तैयार गेहूं को इस मशीन की सहायता से फ़िल्टर किया जाता है. इस फ़िल्टर प्रक्रिया से एक तरफ गेहूं में मिले हुए कंकड़-पत्थर व खर-पतवार तथा अन्य अनाज जैसे- जौ को छानकर अलग और वहीं दूसरी तरफ साफ गेहूं को अलग किया जाता है.
  2. फ़िल्टर हो जाने के बाद साफ गेहूं को आटा चक्की मशीन के होप्पर में मशीन क्षमता अनुसार भरकर मशीन चालू की जाती है, यहां निश्चित किया जाता है कि मशीन द्वारा गेहूं को कितना बारीक पीसना है. पिसाई मानक निर्धारित करने के बाद चालू मशीन निकास द्वार से वांछित मोटाई का आटा पीसकर बाहर कर देती है.
  3. तैयार आटे को नापने के लिए डिजिटल वेट मशीन का प्रयोग किया जाता है. बड़े स्तर पर यह डिजिटल वेट मशीन बड़ी भार क्षमता की लेनी जरूरी है.
  4. मशीन द्वारा आटा तैयार हो जाने के बाद इसकी पैकिंग अलग-अलग भार क्षमता (500 ग्राम से 50 किलोग्राम तक) के अनुसार की जाती है.

सोलर आटा चक्की बिज़नेस क्या है?

solar energy पर काम करने वाली आटा चक्की से आटे का कारोबार करने की प्रक्रिया को सोलर आटा चक्की बिजनेस (Solar Atta Chakki Business) कहा जाता है. मौजूदा बाजार में सोलर आटा चक्की की कीमत व क्षमता के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है.

व्यवसायिक तौर पर सोलर आटा चक्की सिस्टम (Solar Atta Chakki System) स्थापित करने के लिए नीचे बताई गई लागत आना संभावित है-

1. 20 एचपी सोलर आटा चक्की 8.5 लाख अनुमानित
2. 15 एचपी सोलर आटा चक्की 7.1 लाख अनुमानित
3. 10 एचपी सोलर आटा चक्की 4.2 लाख अनुमानित
4. 05 एचपी सोलर आटा चक्की 2.5 लाख अनुमानित

व्यवसाय का पंजीकरण (Atta Business Registration)-

आटे का व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको इन लाइसेंसों को लेना जरूरी है-

  1. ROC (Registrar of Companies)
  2. MSME Registration (सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योग पंजीकरण)
  3. GST Registration (जीएसटी पंजीकरण)
  4. Trade License (ट्रेड लाइसेंस)
  5. Trademark License (ट्रेड मार्क लाइसेंस)
  6. FSSAI License (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण पंजीकरण)
  7. IEC Code (आईईसी कोड)- यदि आप निर्यात करना चाहते हैं तो आईईसी कोड लेना अनिवार्य है।

छोटे स्तर पर या घर से शुरू करने के लिए आप केवल भारत सरकार द्वारा विकसित किये गए उद्यमी पोर्टल MSME पर अपने व्यापार की लागत के अनुरूप सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग/उद्यम अंतर्गत किसी एक श्रेणी में पंजीकरण करा सकते/सकती हैं,

साथ ही आपको टैक्स आदि के लिए GST No. भी लेना अनिवार्य है। भविष्य में जब आपका कारोबार बढ़ेगा, आपको बाकी के पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

आटे की पैकिंग (Atta/flour Packing)-

किसी भी Product/उत्पाद की पैकिंग उसके ब्रांड वैल्यू को बनाने और बढ़ाने का काम करती है। आटे के कारोबार में पैकिंग का सबसे मुख्य काम होता है, सामान्य तौर पर आटे की पैकिंग 02 तरह से तैयार की जाती है-

  1. PP (Polypropylene) printed प्लास्टिक बैग/बोरी में,
  2. LDPE printed प्लास्टिक बैग/बोरी में

व्यवसायिक तौर पर विशेष तौर पर मार्केट में ब्रांड वैल्यू बनाने के लिए आटे की पैकिंग में अधिकतर विशेष डिज़ाइन व कुछ चुनिन्दा रंगों का ही उपयोग किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योकि विशेष डिज़ाइन व चुनिन्दा रंगों में अपना एक अलग ही आकर्षण होता है जो किसी भी उपभोक्ता या ग्राहक को अपनी ओर खीचने में सक्षम होता है।

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अपनी विशेष डिज़ाइन व चुनिन्दा रंगों की खास पैकिंग के कारण अधिकतर खुदरा दुकानों में आटे जैसे उत्पाद शो-पीस या सजावट की तरह ऐसे रखे जाते हैं, जिससे जल्द से जल्द उत्पाद ग्राहक की नजर में आएं और ग्राहक इन्हें देखते ही खरीद ले।

आकर्षक और मोहक पैकिंग बनवाने के लिए आप सबसे पहले अपने क्षेत्रीय प्रिंटर्स/मुद्रक से संपर्क करें, यदि आपके क्षेत्र में प्रिंटिंग व डिज़ाइनिंग आदि का काम नहीं होता है तो पैकिंग बनवाने के लिए आप इंटरनेट पर मौजूद वेबसाइटो की मदद ले सकते/सकती है। पैकिंग के लिए आप indiamart की वेबसाइट पर विजिट करें.

सुझाव- 

  • आटे की पैकिंग की डिजाइन के लिए किसी जानकार ग्राफिक्स डिजाइनर की सहायता जरूर लें। साथ ही उत्पाद बनाने में उपयोग किए गए घटकों व न्यूट्रीशन वैल्यू का उल्लेख उत्पाद की पैकेजिंग पर अनिवार्य रूप से करें।
  • व्यापार की शुरुवात आप खुदरा बाजार में छोटे पाउच (500 ग्राम से 01 किलोग्राम तक) से ही शुरू करें।
  • बाजार में Product की खपत का आंकलन कर आप बड़े पाउच के प्रोडक्ट/उत्पाद उतार सकते हैं।

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सैंपल और क्वालिटी टेस्ट (Sample & Quality Test)-

अपने उत्पाद को पूरी तरह से complete करने के बाद इसकी गुणवत्ता की टेस्टिंग के लिए उत्पाद के सैंपल को Quality Test कराना होता है, इसके लिए आप अपने जिला मुख्यालय के भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India- FCI) की शाखा से संपर्क कर सकते हैं। जहां से हरी झंडी मिलने के बाद आप अपना उत्पाद मार्केट/बाजार में उतार सकते हैं।

व्यवसाय की मार्केटिंग (Marketing)-

आटे का व्यवसाय विशेषकर मल्टीग्रेन आटे का व्यवसाय लगभग मार्केटिंग आधरित बिजनेस है, इस बिजनेस में जितनी अच्छी मार्केटिंग की जाती है, परिणाम में उतना अच्छा मुनाफा भी मिलता है। यदि आप छोटे स्तर से आटे का कारोबार शुरू कर रहे हैं तो छोटे स्तर पर सबसे अच्छा तरीका है…

आप सबसे पहले अपने आस-पास के किराना दुकानों या स्टोर्स की ओर रुख करें, क्योंकि आपके पास के किराना दुकानें आपको अच्छे से जानते होंगे, जिससे आपके माल के खपत होने कि संभावना बढ़ जाती है।

छोटे स्तर पर प्रचार के लिए आप अपने बाजार क्षेत्र में जगह-जगह पर पोस्टर, बैनर, फ्लैक्स व स्टीकर आदि चस्पा करवा सकते हैं, साथ ही अखबार में पैम्पलेट डलवाकर प्रचार कर सकते हैं।

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वहीं यदि आपने बड़े सर पर आटे का कारोबार या बिजनेस शुरू किया है तो बड़े स्तर के विज्ञापनों को ध्यान देने की जरूरत है। बड़े विज्ञापन जैसे- अखबार पृष्ठ, पत्रिका पृष्ठ और TV विज्ञापन और Digital Marketing आदि का सहारा प्राथमिकता पर जरूर लें।

इसके साथ ही यदि आप स्वयं मार्केटिंग करने में समय नहीं दे पा रहे हैं तो किसी नामी मार्केटिंग एजेंसी या संस्था से अपने उत्पाद की मार्केटिंग भी करवा सकते हैं। हां, यह बात सही है कि किसी मार्केटिंग एजेंसी या संस्था से मार्केटिंग करवाने में अच्छा-खासा खर्च आता है, लेकिन आपके उत्पाद की ब्रांड वैल्यू भी बढ़ने लगती है, लोग आपके प्रोडक्ट को अच्छे से जानने और पहचानने लगते हैं।

बड़े-बड़े नामी ब्रांड जो आज बाजार पर राज कर रहे हैं उन्होंने अपने उत्पाद की मार्केटिंग बहुत अच्छे से की है या करवाई है। तो अब चुनाव आपका है कि आप अपने उत्पाद का प्रचार-प्रसार या मार्केटिंग कैसे करना अथवा करवाना चाहते है।

प्रतिस्पर्धी को पहचानना (Identify your Competitor)-

जब आप अपने उत्पाद को बाजार/मार्केट में उतरेंगे तो बाज़ार में आपको पहले से ही आपके उत्पाद के प्रतिस्पर्धी मिलेंगे। हो सकता है कि यह आपको कभी-कभी हतोत्साहित कर सकता है लेकिन इससे घबराने की बात नहीं है आपको अपने प्रतिस्पर्धी को चुनना होगा और अपने उत्पाद को बेहतर से बेहतरीन बनाना होगा।

जब आप अपने प्रतिस्पर्धी को चुन या पहचान लेते हैं तो आपको एक मकसद मिल जाता है और आप अपने मकसद को पूरा करने के लिए पूरी तन्मयता से लग जाते हैं। एक सफल व्यापारी का लक्षण यही होता है कि वह अपने मकसद, अपने लक्ष्य को समर्पित होता है।

मनोविज्ञान के अनुसार भी यह बात पूरी तरह से सिद्ध हो कि “जब हम किसी से competition करना शुरू करते हैं, तो हमारा दिमाग सामान्य की अपेक्षा तेज गति से कार्य करने लगता है, और हमेशा नए-नए विचार उत्पन्न करने लगता है। जिससे हमारी कार्य क्षमता (productivity) बढ़ जाती है।”

मूल्य निर्धारण (Price Determination)-

किसी भी नए उत्पाद को बाजार में बिक्री करने के लिए सबसे अहम भूमिका निभाता है उसका मूल्य। और यह बात सार्वभौम सत्य है क्योंकि आज खासकर कोरोनाकाल के बाद लगभग कई देशों में मंहगाई बढ़ चुकी है जिसका असर कुछ हद तक हमारे देश भारत पर भी पड़ा है।

इसलिए बाजार को देखते हुए आप अपने उत्पाद का मूल्य बाजार में मौजूद अन्य उत्पादों की अपेक्षा कुछ कम ही रखें लेकिन उत्पाद की गुणवत्ता से कोई समझौता न करें, बेहतरीन गुणवत्ता के कारण आपका उत्पाद धीरे-धीरे मार्केट/बाजार में प्रसिद्ध होने लगेगा और जिससे आप अपने कारोबार को छोटे से बड़े स्तर पर विस्तारित कर सकते हैं। कम मूल्य पर उत्पाद बेचने की शुरुवात आपको अपने लोकल मार्केट से ही करनी चाहिए।

व्यवसाय के लिए लोन (Loan)-

प्रश्न यह है कि आटा चक्की के लिए लोन कैसे मिलेगा? लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने मेक इन इण्डिया के तहत प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY), कौशल विकास योजनाप्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) आदि के माध्यम आपको आसानी से ऋण/लोन मिल सकता है।

इसके लिए आपको अपनी कंपनी या फर्म के पंजीकरण संख्या से सरकारी योजनाओं के तहत आवेदन करना होगा। सरकारी योजनाओं के तहत लघु उद्योग हेतु ऋण/लोन लेने के लिए आप अपने क्षेत्रीय/स्थानीय सरकारी बैंक की शाखा से आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

आटा व्यवसाय की कुल लागत (Total Cost of Business)-

आटे का व्यापार बड़े ही छोटे निवेश से शुरू किया जा सकता है, छोटे स्तर पर शुरू करने के लिए कम से कम 40 हजार से 01 लाख रुपए की लागत लगती है जिसमें आपको रॉ मटेरियल, डिज़िटल वेट मशीन और पैकिंग मशीन (वैकल्पिक) लेना होगा। जिसे आप अपने घर से भी शुरू कर सकते हैं।

अगर आप आटे के कारोबार क्षेत्र में आना चाहते हैं तो मेरी राय यही है कि आप इसे कम पूंजी लगाकर इसे छोटे स्तर पर घर से ही शुरू करें। जिससे आप भारी/अवांछित जोखिम से बच सकते हैं और छोटे स्तर पर व्यापार करने से आपको बाजार को समझने का मौका भी मिलता है।

वहीं अगर आप इस व्यवसाय को बड़े स्तर पर करना चाहते हैं तो आपको बड़ी मशीनरी के साथ पैकिंग की मशीन (ऑटोमेटिक, सेमी-ऑटोमेटिक) और बड़ी क्षमता के तराजू (डिज़िटल वेट मशीन) आदि की जरूरत पड़ेगी इस complete setup की लागत लगभग 06 लाख रूपए से शुरू हो जाती है।

जिसमें रॉ मटेरियल की क्रय दर, चयनित  स्थान (खुद का अथवा किराये का) पर लागत, पंजीकरण शुल्क व अन्य लागत सम्मिलित नहीं है.

आटा व्यवसाय के जोखिम (Business Risks)-

आटे के कारोबार में एक ही खास जोखिम होता और वह है, समय बीतने के साथ आटे का जैसे उत्पाद ख़राब होने लगते है, यदि आप छोटे स्तर पर आटे का बिजनेस शुरू करते हैं तो यह जरूर निश्चित कर लें कि आपके उत्पाद या प्रोडक्ट की बाजार/मार्किट में खपत कितनी हो रही है, इस खपत के हिसाब से ही आप अपना माल तैयार करें।

आटे के व्यवसाय में मुनाफा (Profits in Business)-

मौलिक तौर पर मुनाफा या लाभ शब्द एक ऐसा शब्द है जो हर किसी को एक नई प्रेरणा देता है। आटे के कारोबार में मुनाफे की कोई सीमा तय नहीं है, आटे जैसे बिजनेस में मुनाफा पूरी तरह से आपकी मार्केटिंग पर निर्भर करता है, मतलब आपका उत्पाद कितने घरों तक पहुँचता है.

सामान्यत: साधारण आटे पर खुदरा मार्केट में 01 रूपए से लेकर अधिकतम 2.50 रूपए प्रति किलोग्राम तक व मल्टीग्रेन आटे पर 02 रूपए से लेकर अधिकतम 4.50 रूपए प्रति किलोग्राम तक मुनाफा लिया अथवा कमाया जा सकता है।

वहीं यदि बड़े स्तर पर मुनाफे की बात करें तो मार्केट पहुंच के आधार पर आप हर महीने 30,000 से 80,000 रूपए या इससे भी ऊपर हर महीने कमाया जा सकता है।

नोट- यह संभावित मुनाफा धनराशि आटे के लिए चुने गए रॉ मटेरियल व तैयार आटे की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है.

अंत में-

बड़े-बुजुर्गों के मुंह से भी आपने कभी न कभी तो सुना ही होगा कि हम इंसानों को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए मात्र 03 प्राथमिक चीजों की जरूरत होती है- रोटी, कपड़ा और मकान। इस सकारात्मक तथ्य की गहराई को ध्यान में रखते हुए रोटी जो कि आटे से बनती है, का व्यवसाय (Atta/Flour manufacturing Business) स्थापित करना एक सदाबहार चलने वाला बिजनेस है, और इससे लम्बे समय तक अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है.

 नोट- किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले बाजार/मार्केट रिसर्च एवं खपत का आंकलन अनिवार्य रूप से अवश्य करें। ऐसा करने से आपको व्यवसाय में आने वाले जोखिम और दिक्कतों का सामना करने में आसानी हो जाएगी और बाजार में डिमांड के अनुरूप आप अपने products का निर्माण भी अच्छे से कर पाएंगे।

आशा है आपको इस लेख “आटे का व्यवसाय कैसे शुरू करें” से आटे तैयार करने के व्यवसाय, व्यापार और कारोबार के बारे में पूरी जानकारी जरूर मिली होगी, साथ ही यदि कुछ छूट गया हो या कुछ पूछना चाहते हों तो कृपया comment box में जरूर लिखें। तब तक के लिए-

“शुभकामनाएं आपके कामयाब और सफल व्यापारिक भविष्य के लिए।”

धन्यवाद!

जय हिंद! जय भारत!

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2 टिप्पणी

  1. Incredible article…. Explain with full details…

    साधारण आटे या मल्टीग्रेन आटे में से कौन से आटे की डिमांड ज्यादा होती है…. कृपया सुझाव दें….

    • देखिये यह निर्भर करता है कि आप किस स्तर की मार्केट को कवर करना चाहते हैं.

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