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गमले में टमाटर की उन्नत खेती कैसे करें | Advanced Tomato Cultivation in Pot

ऑर्गेनिक तरीके से उगाया गया प्रत्येक टमाटर गुणकारी होने के साथ हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभप्रद होता है. टमाटर के नियमित सेवन से यह हमारे शरीर को होने वाले कई रोगों से रक्षा प्रदान करता है. व्यवसायिक तौर पर टमाटर की फसल खेतों में तैयार की जाती है,

जहां फसल को कीट और रोग आदि से सुरक्षा के लिए खतरनाक केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जिससे काफी हद तक तैयार टमाटरों में गुणकारी तत्वों में कमी की संभावना पनपती है. बढती जनसंख्या की पूर्ती के लिए किसान विवशता वश केमिकल आधारित कीटनाशकों और खाद का प्रयोग करते हैं. तो इसका समाधान क्या है?

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गमले में टमाटर की उन्नत खेती कैसे करें | Advanced Tomato Cultivation in Pot

यदि आप प्राकृतिक सब्जियों का सेवन करने के शौक़ीन हैं तो किचन गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग के तहत अपने घर पर ग्रो बैग अथवा गमले में भी सब्जियों की कई किस्में जैसे- गोभी, करेला, लौकी, कद्दू, परवल, खीरा, ककड़ी, चुकंदर और टमाटर की उन्नत खेती भी आसानी से कर सकते हैं.

और आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ गमले में टमाटर की उन्नत खेती की विस्तृत जानकारी साझा करने जा रहे है. चलिए शुरू करते हैं- सबसे पहले जानते हैं,

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टमाटर की उपयोगिता-

टमाटर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है, लीवर बेहतर बनता है, एसिडिटी जैसी समस्या में राहत मिलती है और कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा होने के कारण टमाटर को एक उत्तम भोजन के रूप में माना जाता है. मधुमेह के रोगियों के लिए टमाटर किसी वरदान से कम नहीं है.

इसके साथ ही जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं, उनके लिए टमाटर की उपयोगिता किसी रामबाण से कम नहीं होती. टमाटर पर किये गए चिकित्सीय शोधों के मुताबिक टमाटर का सेवन करने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

हालांकि मौजूदा सब्जी बाजार में टमाटर साल भर देखने को मिलता है क्योंकि टमाटर की खपत भी बहुत बड़ी मात्रा में लगभग प्रत्येक घर में प्राथमिकता पर की जाती है. इसका मुख्य कारण यह है कि टमाटर का उपयोग आज लगभग हर सब्जी पकाने में तो किया ही जाता है.

साथ ही सलाद के रूप में भी इसे काफी पसन्द किया जाता है क्योंकि टमाटर में कैल्शियम, फास्फोरस, प्रोटीन, विटामिन, वसा व लाइकोपिन (lycopene) आदि तत्वों का भण्डार मौजूद होता है.

लाल-लाल टमाटर देखने में सुन्दर और खाने में स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक होते हैं, स्वाद में खट्टा होने के कारण मौजूदा बाजार में टमाटर से बने कई उत्पाद देखने को मिलते हैं. जैसे- टमाटर सौस (Tomato sauce), टमाटर शोरबा (tomato soup), टमाटर चटनी (tomato chutney), टमाटर पाउडर (tomato powder) आदि व अन्य.

अपने अनोखे स्वाद और औषधीय गुणों के कारण टमाटर की उपयोगिता स्वत: ही सिद्ध हो रही है. किचन गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग के तहत गमले अथवा ग्रो बैग में टमाटर की उन्नत खेती करना भी बहुत आसान है. तो गमले अथवा ग्रो बैग में टमाटर की उन्नत खेती करने के लिए इच्छुक उम्मीदवार को किन-किन घटकों पर ध्यान देना होता है-

टमाटर की उन्नत खेती के तहत टमाटर बीज का चयन-

आज बाजार में टमाटर के पौधे तैयार करने के लिए कई किस्मों के बीज मिलते हैं. किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग (छत पर बागवानी) के तहत गमलों या ग्रो बैग में टमाटर की अच्छी उपज लेने के लिए आप किसी भी टमाटर किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं.

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टमाटर का पौधा 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान व 38 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा तापमान पर अच्छे से पनप नहीं पाता या विकसित नहीं हो पाता है. इसलिए यदि आप किचन गार्डेन के तहत गमलों में टमाटर के पौधे लगाकर अच्छे टमाटर की पैदावार करना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि आप मौसम और तापमान का विशेष ध्यान रखें.

कहां से लें-

अमूमन टमाटर के बीज आपको अपने क्षेत्र के सहकारी व प्राइवेट बीज भंडार से आसानी से मिल जाते हैं. आप इसके बीजों को ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं. वहीं यदि आपके क्षेत्र में कोई बीज भंडार नहीं है तो अपने क्षेत्र की पौध नर्सरियों से संपर्क कर वहां से ले सकते हैं.

टमाटर बुवाई समय-

अमूमन टमाटर एक ऐसा फल है जो साल के 12 महीनों में बाजार में देखने की आसानी से मिलता है. टमाटर की इस उपलब्धता का मुख्य कारण है टमाटर की बुवाई का समय. एक साल में टमाटर को तीनो फसलों रबी, खरीफ व जायद के अंतर्गत लगाया जाता है-

  1. जून से जुलाई तक, फसल अवधि- 60 से 80 दिन
  2. नवम्बर से दिसम्बर तक, फसल अवधि- 60 से 80 दिन
  3. फ़रवरी से आखिर अप्रैल तक, फसल अवधि- 60 से 80 दिन

टमाटर की उन्नत किस्में (Improved Varieties Of Tomatoes)

किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग (छत पर बागवानी) के तहत टमाटर की सामान्य किस्मों को बड़े स्तर की खेती के लिए उपयोग (खेत आदि) में लिया जाता है. हालांकि इन किस्मों को गमले या ग्रो बैग में भी लगाया जा सकता है और काफ़ी हद तक अच्छी उपज भी ली जा सकती है, लेकिन किचन गार्डनिंग में मुख्य रूप से टमाटर की हाइब्रिड किस्मों को ही लिया जाता है. ये सामान्य और हाइब्रिड किस्में इस प्रकार हैं-

  1. पूसा गौरव,
  2. पूसा शीतल,
  3. सालेना गोला,
  4. साले नबड़ा,
  5. वी.एल.टमाटर-1 आदि

टमाटर की हाइब्रिड (संकर) किस्में-

  1. हिमसोहना, फसल अवधि- 60 से 65 दिन
  2. अभिनव, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
  3. प्रभात, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
  4. पूसा हाइब्रिड-120, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
  5. यू0एस0-2853, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
  6. स्वर्ण लालिमा, फसल अवधि- 60 से 62 दिन
  7. स्वर्ण समृद्धि, फसल अवधि- 55 से 60 दिन
  8. अर्का रक्षक एफ-1, फसल अवधि- 140 से 150 दिन आदि

टमाटर की उन्नत खेती के लिए मिट्टी तैयार करना-

किचन गार्डनिंग के तहत उच्च स्तर की बागवानी करने में सबसे अहम भूमिका निभाती है- soil media मतलब पौधों की मिट्टी की. आमतौर पर हममें से कई लोग इस चीज पर कोई खास ध्यान नहीं देते है, बस पौधों को सीधे गमलो की मिट्टी में लगा देते हैं और पानी के साथ कुछ बेसिक खाद आदि देकर अपना पीछा छुड़ा लेते हैं,

इसके बाद इंतजार करते हैं कि हमारा लगाया गया पौधा जल्द से जल्द बड़ा होकर अच्छे फल व फूल देना शुरू कर दे, लेकिन जब पौधा अच्छे फल व फूल नहीं देता तो कहते हैं कि वो पौधा ही ख़राब है. समस्या यह नहीं है कि पौधा ख़राब है, बल्कि मुख्य समस्या यह है कि हमें सही जानकारी नहीं है.

किचन गार्डनिंग के तहत किसी भी तरह से पौधे को ग्रो करने के लिए हमें जिस मिट्टी या soil media की जरूरत होती है, उसे आसानी से घर पर बनाया जा सकता है. टमाटर के पौधे (tomato plant) को उगाने के लिए हमें जिस तरह की मिट्टी की आवश्यकता होती है उसे बनाने के लिए हमें इन चीजों की जरूरत होती है-

सामग्रीमात्रा
साधारण उपजाऊ गार्डन मिट्टी 02 भाग
कोकोपीट 04 भाग
गोबर/वर्मी कम्पोस्ट खाद 04 भाग
नीम खली 40 से 50 ग्राम
पत्थरों का चूरा (Stone Dust Powder)01 मुटठी
ग्रो बैग18 X 18″

नोट-

  1. पत्थरों का चूरे को अनिवार्य रूप से जरूर मिलाए, इसको मिलाने से मिटटी में कैल्सियम, फास्फोरस और नाइट्रोजन की भरपूर मात्रा मिटटी में भर जाती है, जो स्वस्थ्य टमाटर के पौधे के विकास के लिए जरूरी है.
  2. उपरोक्त बताई गई मात्रा 12 से 20 इंच के गमला या ग्रो बैग के अनुसार ली गई है.

सुझाव-

  • किचन गार्डनिंग में विशेष तौर पर कीटाणु नाशक के रूप में नीम खली ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का उपयोग किया जाता है. आप इसके स्थान पर केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग भी कर सकते हैं. लेकिन प्रश्न यह है कि आप आर्गेनिक फल खाना चाहते हैं या केमिकल आधारित.
  • उपरोक्त सभी बताये गए घटकों को मात्रा अनुसार आपस में मिलकर वांछित मिट्टी तैयार कर लेनी है. इसके बाद ही मिट्टी में टमाटर के पौधों को गमलों या ग्रो बैग में स्थानांतरित (transplant) कर लगाया जाता है.
  • किसी भी मौसम में टमाटर के पौधे को पनपने के लिए मिटटी का pH मान 06 से 07 के बीच होना जरूरी होता है.

टमाटर की खेती के लिए पौध तैयार करना (Plant Preparation For Tomato Cultivation)

बाजार से टमाटर के बीज को लाने के बाद एक डिस्पोजल seedling ट्रे या डिस्पोजल पेपर कप अथवा गिलास में इन बीजों की रोपाई की जाती है. बीजों से जर्मिनेट या अंकुरित करने के लिए seedling ट्रे या डिस्पोजल पेपर कप अथवा गिलास में 50% साधारण उपजाऊ गार्डन मिट्टी या कोकोपीट और 50% गोबर या वर्मी कम्पोस्ट या फिर लीफ कम्पोस्ट खाद भरकर उसमें करना होता है.

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यहाँ बीजों की रोपाई करते समय बीज के नुकीले भाग को नीचे की ओर और दूसरे भाग को ऊपर की ओर करके मिट्टी में 01 इंच नीचे ही रोपना है. उसके बाद बीज रोपे गए पात्र में अच्छे से पानी देना है.

बीज की रोपाई के बाद करीब 06 से 07 में टमाटर के पौधे पूरी तरह से अंकुरित होकर बहार निकाल आएँगे. जो पूरी तरह से स्वस्थ्य और मजबूत होंगे. जब टमाटर की पौध 06 से 10 इंच की हो जाएं तो इसके बाद इन बीज से तैयार हुई पौध को वांछित बड़ी क्षमता के गमले में स्थानांतरित करना होता है.

नोट-

  • seedling tray अथवा डिस्पोजल पेपर कप या गिलास में अंकुरण से पहले पानी के निकासी (ड्रेनेज) के लिए होल (छिद्र) बनाना बिल्कुल न भूलें.
  • पौधों को स्थानांतरित करने से एक दिन पहले पौधे की mother leaf को जरूर काट दें.

टमाटर पौध को गमलों में स्थानांतरित करना-

एक बार जब हमारी पौध पूरी तरह से तैयार हो जाती है तो इसके बाद अगले चरण में हमें पौधों को बड़ी क्षमता के गमलों या ग्रो बैग्स में स्थानांतरित करना जरूरी हो जाता है. किचन गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग के तहत टमाटर के पौधों से बेहतर उपज लेने के लिए हमें कम से कम 12 से 20 इंच के गमलों या ग्रो बैग्स का चुनाव करना चाहिए.

गमलों के चयन के बाद सबसे पहले गमलों में पानी निकासी (ड्रेनेज) का प्रबंधन करना है. उसके बाद तैयार की गई मिट्टी को वांछित पात्र के मुहाने से 01 इंच नीचे तक भर कर अच्छे से पानी देकर लगभग 24 घंटों के लिए छोड़ देना है, इससे पात्र की मिट्टी अच्छे से पात्र में स्थित हो जाएगी.

अगले दिन पात्र की मिट्टी में हल्की गुड़ाई कर अंकुरित हो चुकी टमाटर पौध को गमलों या ग्रो बैग्स में एक दूसरे से 03 इंच की पर 02 पौधों को लगाकर अच्छे से पानी दे देना है. साथ ही आपका गमला ऐसे स्थान पर होना चाहिए, जहां दिन भर की धूप व सीधे सूर्य के प्रकाश आता हो.

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इसके बाद आपको अपने टमाटर के पौधों में इतना ही पानी देने की आवश्यकता है, जितने में उसकी मिट्टी की नमी हमेशा बरक़रार रहे. इसके साथ ही आपको गमलों में बांस आदि की लम्बी क्षणे भी लगानी होंगी क्योंकि टमाटर का पौधा जैसे-जैसे बड़ा होता है इसे एक मजबूत सहारे की जरूर होती जाती है. जब पौधे में फल आदि आना शुरू होते है तो फल के वजन से पौधा न टूट जाए इसके लिए भी सपोर्ट देना जरूरी होता है.

सुझाव-

  1. यदि आप टेरेस (छत पर) गार्डनिंग के तहत टमाटर के पौधे लगा रहे हैं तो मेरे सुझाव से आप गमलों के स्थान पर ग्रो बैग का प्रयोग करें.
  2. स्थानांतरण के कुछ दिनों बाद टमाटर के पौधे में फूल की कलियां आ जाएं तो इन कलियों को काटकर हटा दें. अन्यथा टमाटर का पौधा बड़ा होकर पर्याप्त टमाटर नहीं दे पाएगा.

टमाटर के पौधों की कटिंग करना-

टमाटर के पौधों को स्थानांतरित करने के करीब 12 से 14 दिनों बाद टमाटर के पौधों की अच्छी ग्रोथ आपको दिखाई देगी. अब शुरू होता है अगला चरण, जिसमें हमें टमाटर के पौधों की प्रूनिंग करनी है. गमले या ग्रो बैग में टमाटर के पौधों से बेहतर उपज लेने के लिए हमें बन्जी कटिंग करनी होती है. अब प्रश्न यह है कि ये बन्जी कटिंग या 3G कटिंग क्या होती है?

पौधे की 3G कटिंग- 

पौधे के अंकुरण के बाद शाखा से mother leaf को छोड़कर जो तीसरा पत्ता निकलता है उसे पौधे का थर्ड जनरेशन या तीसरी पीढ़ी कहते हैं और 3G कटिंग में पौधे के तीसरे पत्ते के बाद के भाग को काट दिया जाता है, जिससे पौधा बच गए पत्तों के मुहाने से नई-नई शाखाएं विकसित करता है, और जिससे पौधे के पास अधिक संख्या में फूल व फल देने के लिए अधिक शाखाएं होती है. इसी तर्ज पर 2G व 1G कटिंग भी की जाती है.

पौधे की बन्जी कटिंग-

पौधे के अंकुरण के बाद पौधे की मुख्य शाखा के ऊपरी छोर को काट दिया जाता है. इस कटिंग प्रकिया (Cutting Method) को पौधे की बन्जी कटिंग कहते हैं. किचन गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग के तहत टमाटर के पौधों को जमीन आदि पर नहीं फैलाया जाता है बल्कि क्षणों से सहारा देकर जमीन से ऊपर की ओर ग्रो किया जाता है.

बन्जी कटिंग से कटिंग सिरे पर नई शाखाओं का विकास होता है जिसे बांस या किसी अन्य क्षणों आदि की मदद से सहारा देकर आसानी से प्रबंधन किया जा सकता है. कटिंग आदि के बाद पौधे को वर्मी कम्पोस्ट या लीफ कम्पोस्ट की खाद प्राथमिकता पर जरूर दें. इसके साथ ही यदि जरूरी लगे तो पौधे को रोगाणुओं के खतरे से बचाने के लिए ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का छिडकाव जरूर करें.

नोट- किसी भी तरह की कटिंग करने से पहले कटिंग औजारों को अच्छे से सैनिटाईज जरूर कर लें.

ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर और रोगाणुनाशक-

एक बेहतरीन ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर और रोगाणुनाशक जिसका निर्माण हम अपने घर पर आसानी से और कम कीमत पर तैयार कर सकते हैं. इसका इस्तेमाल करने से आपके टमाटर के पौधों की ग्रोथ बहुत अच्छी तरह से होती है. घर पर ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर बनाने के लिए सिर्फ एक चीज की जरूरत होती है और वह है- नीम खली, नीम का तेल और सरसों की खली.

02 लीटर पानी में करीब 07 से 10 ml नीम के तेल को मिलाकर पौधे व उसकी पत्तियों पर स्प्रे करना होता है, आप 15 दिनों के अंतराल पर इस ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का उपयोग कर सकते हैं. नीम खली को आप सीधे पौधे की जड़ में गुड़ाई कर दे सकते हैं.

साथ ही 20 से 30 ग्राम सरसों की खली को 02 लीटर पानी में 24 घंटे भिगोकर जो मिश्रण तैयार होता है उसे सीधे या छानकर टमाटर के पौधे को सप्ताह में एक बार ही देना होता है. इसे देने से टमाटर के पौधे में ढेर सारे नर और मादा फूल आते हैं जो पोलिनेशन के बाद फल (टमाटर) में परिवर्तित हो जाते हैं.

टमाटर की उन्नत खेती में पानी की मात्रा संतुलित करना-

जब टमाटर के पौधों में फूल आने शुरू हो जाते है तो सप्ताह में एक बार या महीने में 02 बार सरसों खली से बने मिश्रण को जरूर दें. साथ फूल आने के बाद पौधे को बस उतना ही पानी देना है, जितने में उसकी मिट्टी में नमी बनी रहे. सर्दियों के मौसम में गमले आदि में लगे पौधों को 02 से 03 दिन के अंतराल पर पानी दिया जाता है.

इसके साथ ही जैसे जैसे पौधे की शाखाएं बड़ी होकर फैलती हैं तो इन शाखाओं का उचित प्रबन्धन किया जाना प्राथमिक अनिवार्यता है क्योंकि इन्ही शाखाओं में पहले टमाटर फूल और फिर फल (टमाटर) लगते है. छत आदि पर पौधे की शाखाए अच्छे से फैले, इसके लिए छत पर बांस की डंडियाँ व बायोनेट लगा सकते हैं.

टमाटर की उन्नत खेती के तहत पोलिनेशन का ध्यान रखना-

अब तक आपका टमाटर का पौधा फल देने लायक विकसित हो चुका है, जब पौधे में फूल आना शुरू हो जाते हैं तो यह जरूरी हो जाता है कि आए हुए फूल फलों (टमाटर) में आसानी से परिवर्तित हो जाए. पौधे के फूल फलों में तभी बदलते हैं जब नर फूल के परागकण मादा फूल के परागकण से निषेचित हो जाए.

अमूमन परागकणों का निषेचन फूलो का रस चूसने वाले कीट-पतंगे जैसे- मधुमक्खी और तितलियों द्वारा स्वत: ही किया जाता है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण व कम हरियाली की उपलब्धता के कारण आज शहरों में इन कीटों का आवागमन बहुत ही कम मात्रा में होता है.

फिर भी टमाटर के फूलों का निषेचन हो जाता है और जिनमें नहीं होता वे समय के साथ मुरझा कर अपने आप ही गिर जाते हैं. टमाटर के पौधों पोलिनेशन का कोई विशेष ध्यान की जरूरत नहीं होती है. बल्कि कीटों के संक्रमण से बचाने की विशेष आवश्यकता होती है.

टमाटर की उन्नत खेती के तहत पौधे में लगने वाले रोग-

मौलिक तौर पर अधिकांश सब्जियों के पौधों पर पौधों को नुकसान पहुचाने वाले कीटों का आक्रमण होता ही होता है, अगर समय रहते इन कीटों का समुचित समाधान/निपटान नहीं किया जाए तो ये कीट पौधे का सम्पूर्ण सर्वनाश करने में भी सक्षम होते हैं.

टमाटर के पौधे पर भी पौधे को क्षति पहुचाने वाले कीट एक बार जरूर आक्रमण करते हैं. अमूमन टमाटर के पौधे में कीटों की वजह से कुछ रोग देखने को मिलते हैं. जैसे-

  1. टमाटर के पौधे की पत्तियों का सफ़ेद हो जाना.
  2. पनपती टमाटर का काला होकर स्वत: ही गिर जाना.
  3. पत्तियों का रंग पीला पड़ जाना.
  4. पौधे पर जाला आदि लग जाना,
  5. पौधे में अच्छी ग्रोथ का न होना.
  6. पौधा बढ़ते-बढ़ते मुरझा जाना.

ये कुछ रोग हैं जो किचन गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग के तहत टमाटर के पौधे में ख़ास तौर पर देखने को मिलते हैं. इसका समाधान यह है कि…..

  • अगर टमाटर के पौधे की पत्तियां सफ़ेद हो रही हैं साथ ही यदि पनपती टमाटर का काली होकर स्वत: ही गिर जा रही है या पौधे पर मकड़ी जाला लगा दिख रहा है तो समझ लीजिए कि आपके टमाटर के पौधे पर कीटों का आक्रमण हुआ है, इनसे निजात पाने के लिए आप पौधे पर कीटनाशक (ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर) का हर सप्ताह में एक बार अच्छे से जरूर करें.

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  • ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर (कीटनाशक) बनाने की विधि ऊपर बताई जा चुकी है. इसके साथ ही जब आपको लगे कि पौधा कीट मुक्त हो चुका है तो ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर (कीटनाशक) का उपयोग 15 दिन में एक बार ही करें.
  • वहीं यदि पौधे की पत्तियों का रंग समय से पहले पीला हो जा रहा है व पौधे में अच्छी ग्रोथ नहीं दिख रही है तो समझ जाइए कि पौधे की मिटटी में पोषक तत्वों की कमी हो गयी है, पौधे की मिट्टी में हल्की गुड़ाई के बाद वर्मी कम्पोस्ट खाद में नीम खली मिलाकर दें.
  • इसके साथ ही यदि टमाटर का पौधा बढ़ते-बढ़ते मुरझा जा रहा है तो समझ जाइए कि पौधे के गमले का पानी निकासी छिद्र (ड्रेनेज होल) बंद हो गया है जिससे गमले में अतिरिक्त पानी ठहर रहा है. इसका तुरंत निपटान/समाधान किया जाना बेहद जरूरी है अन्यथा पौधे की जड़ें पानी में गल जाएंगी और पौधा मर जाएगा.

हार्वेस्ट करना-

यदि आपने सब कुछ चरणबद्ध तरीके से किया है तो लगभग 60 से 70 दिनों में आपके टमाटर हार्वेस्ट/कटाई के लिए लगभग तैयार हो चुके होंगे, आप टमाटर की पहली खेप की हार्वेस्टिन्ग/कटाई करना शुरू कर सकते हैं। किचन गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग के तहत तैयार टमाटरों को जरूरत के मुताबिक हार्वेस्ट कर सकते हैं.

पूरी तरह से ऑर्गेनिक प्रक्रिया द्वारा उगाई गए टमाटर, खाने में बेहद स्वादिस्ट होने के साथ-साथ पर्याप्त पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, यदि आप स्वाद के शौकीन हैं तो ये ऑर्गेनिक टमाटर आपको बहुत पसंद आएंगे.

FAQ.

टमाटर की खेती कितने दिन में तैयार हो जाती है?

हिमसोहना, फसल अवधि- 60 से 65 दिन
अभिनव, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
प्रभात, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
पूसा हाइब्रिड-120, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
यू0एस0-2853, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
स्वर्ण लालिमा, फसल अवधि- 60 से 62 दिन
स्वर्ण समृद्धि, फसल अवधि- 55 से 60 दिन
अर्का रक्षक एफ-1, फसल अवधि- 140 से 150 दिन

टमाटर कब लगाए जाते हैं?

जून से जुलाई तक, फसल अवधि- 60 से 80 दिन
नवम्बर से दिसम्बर तक, फसल अवधि- 60 से 80 दिन
फ़रवरी से आखिर अप्रैल तक, फसल अवधि- 60 से 80 दिन

बरसात में कौन सा टमाटर लगाए?

टमाटर की हिमसोहना किस्म जो बरसात के मौसम से अच्छे से पनपती है.

टमाटर में कौन सी खाद डालनी चाहिए?

ऑर्गेनिक तरीके से टमाटर उगाने के लिए गोबर खाद/वर्मी कम्पोस्ट/लीफ कम्पोस्ट (03 भाग) के साथ नीम खली और सरसों की खली (आधा-आधा भाग) शेष साधारण उपजाऊ मिट्टी (07 भाग) के मिश्रण का उपयोग करना चाहिए.

टमाटर का बीज कौन सा अच्छा होता है?

किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग के तहत बागवानी करने के लिए हाइब्रिड किस्म के टमाटर बीज सबसे उत्तम मने जाते हैं.

गर्मी में कौन सा टमाटर लगाएं, गर्मी में टमाटर की खेती कैसे करें?

गर्मी में टमाटर की अच्छी उपज लेने के लिए गर्म तापमान में पनपने वाली किस्मो का चयन किया जाता है. साथ ही गर्मी में किचन गार्डनिंग के तहत टमाटर के पौधों को शेड में रखा जाता है….. गर्मी में tamatar ki kheti के तहत रोपी जाने वाली टमाटर की किस्में हैं-

पूसा हाइब्रिड-120, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
यू0एस0-2853, फसल अवधि- 65 से 70 दिन
स्वर्ण लालिमा, फसल अवधि- 60 से 62 दिन
स्वर्ण समृद्धि, फसल अवधि- 55 से 60 दिन

क्या टमाटर एक फल है या सब्जी? (Tomato is a fruit or vegetable?)

वास्तव में टमाटर एक फल है, जिसका उपयोग सब्जी की तरह किया जाता है. टमाटर की ही तरह लौकी, कद्दू, परवल, करेला और सहजन सभी फल हैं, जिसका सब्जी के रूप में उपभोग किया जाता है.

अंत में-

स्वास्थ्य की दृष्टी से केमिकल रहित सब्जियां खाना हमारे शरीर को बेहतर बनाता है और किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग के तहत टमाटर को तैयार करना भी थोड़ी देख-रेख के बाद आसानी से हो जाता है. यदि आप चाहते/चाहती हैं कि आप भी ऑर्गेनिक सब्जियों का लुफ्त उठा पाएं तो टमाटर को अपने किचन गार्डेन या टेरेस (छत) गार्डेन में जरूर उगाएं.

हमारा उद्देश्य सभी किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग (बागवानी) प्रेमियों को बेहतर से बेहतर जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे अपनी बागवानी योग्यताओं को बेहतर से बेहतरीन बना सके और अपने द्वारा तैयार की गई ऑर्गेनिक सब्जियों से लाभ उठा सकें.

आशा है आपको इस लेख ‘गमले में टमाटर की उन्नत खेती कैसे करें’ से किचन व टेरेस गार्डनिंग के तहत टमाटर की खेती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जरूर मिली होगी, यदि आप tomato cultivation pdf चाहते है तो हमारे Telegram चैनल से जुड़ें. साथ ही यदि कुछ छूट गया हो तो कृपया comment box में जरूर लिखें. तब तक के लिए —-

शुभकामनाएं! आपकी कामयाब और सफल बागवानी के लिए

धन्यवाद!

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