कीड़ा जड़ी: जिसका वानस्पतिक नाम: Cordyceps Sinensis (कॉर्डिसेप्स साइनेसिस) है, जिसका मूल उद्गम: तिब्बत माना जाता है, जहाँ यह यार्चा गुम्बा (यारशागुंबा) नाम से प्रचलित है. यह मूलरूप से एक आयुर्वेदिक जड़ी-बुटि है. इसकी उपज प्राकृतिक रूप से समुद्र तल से लगभग 3800 मीटर ऊपर नेपाल और तिब्बत के मध्य के हिमालय के दुर्गम इलाकों व जंगलों में होती है.
कीड़ा जड़ी मूलत: एक पारम्परिक औषधि है, जिसका उपयोग शारीरिक दुर्बलता को दूर करने एवं स्टेमिना बढ़ाने में विशेष तौर पर किया जाता है. कीड़ा जड़ी दिखने में भूरे रंग (कभी-कभी गोल्डन रंग) की होती है, साथ ही यह लगभग 02 इंच लम्बी और कीड़े (worm) के जैसी दिखती है, खाने में इसका स्वाद मीठा एहसास देता है.
हमारे देश भारत! में आज भी ज्यादातर किसान परम्परागत तरीके से खेती कर अपनी आजीविका का भरण पोषण करते हैं. ऐसे में उनकी आय काफी कम और उन्हें मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है.
इसी समस्या का निवारण करने के उद्देश्य से आज हम इस पोस्ट के माध्यम से एक ऐसी आधुनिक खेती के बारे में जानकारी साझा करने जा रहे हैं, जिसे अपनाकर किसान भाई अपनी आय तो बढ़ा सकते ही है साथ ही इस खेती को घर के किसी छोटे कमरे में भी इस खेती को आसानी से कर सकते हैं.
इस खेती का नाम है- कीड़ा जड़ी की खेती, कीड़ा जड़ी मशरूम के परिवार से सम्बन्ध रखती है, जिसका उपयोग मूलरूप से आयुर्वेद चिकित्सा में किया जाता है. मौजूदा बाजार में इस मशरूम- कीड़ा जड़ी का रेट (गुणवत्ता के आधार पर) लगभग 02 लाख रुपए से शुरू होकर 20 लाख रूपये प्रति किलोग्राम से भी ज्यादा है.
और वैसे भी इंटरनेट की उपयोगिता बढ़ने के साथ आजकल अधिकतर किसान मार्केट डिमांड वाली खेती की ओर अग्रेसर हो रहे हैं. अपने स्थानीय सर्वे में हमने पाया कि ज्यादातर किसान अच्छा मुनाफा कमाने के लिए नकदी फसलों को उगाने में ले रहे हैं.
कीड़ा जड़ी; कैंसर, शारीरिक पुष्टता, सांस की गंभीर बीमारी और गुर्दा रोग सम्बंधित बीमारियों में भी अच्छे से काम करती है. भारत में कॉर्डिसेप्स साइनेसिस खासकर उत्तराखंड, लद्दाख, चीन, नेपाल और भूटान से सटे हिमालयी इलाकों में मई से जुलाई के बीच बर्फ पिघलते समय इनकी पैदावार शुरु होती है.
कीड़ा जड़ी दुनिया की सबसे महंगी आयुर्वेद औषधि-
कीड़ा जड़ी मशरूम (कॉर्डिसेप्स साइनेसिस) की कीमत लाखों में होने के कारण इसे एक लखपति बनाने वाली सब्जी/औषधि भी कहा जाता है, मौजूदा बाजार भाव में कीड़ा जड़ी की कीमत लगभग 02 लाख रुपए प्रति किलोग्राम से शुरू होकर 20 लाख रूपये से भी ज्यादा है. वास्तव में कीड़ा जड़ी के औषधीय गुण ही इस मशरूम की कीमत को बहुत अच्छे से परिभाषित भी करते हैं.
क्या कीड़ा जड़ी मशरूम को घर में भी उगाया जा सकता है?
मौजूदा तकनीकी के दौर शायद कोई ऐसी कृषि हो जिसे घर पर या सीमित स्थान पर न उगाया जा सके. घर पर कीड़ा जड़ी उगाने के लिए कुछ विशेष तापमान और आद्रता का ध्यान रखना जरूरी होता है. भारत की राजधानी दिल्ली में कई उद्यमी कीड़ा जड़ी की खेती को बखूबी 10X10 वर्ग फीट के कमरे में सफलतापूर्वक कर रहे हैं.
कीड़ा जड़ी को घर उगाने के लिए किन-किन उपकरणों की आवश्यकता होती है?
किसान मित्रो! यदि आप कीड़ा जड़ी की सफल खेती घर पर करने के इच्छुक हैं तो आपको इसे उगाने के लिए घर के कमरे में कृत्रिम लैब तैयार करने की आवश्यकता है, जिसमें एयर कंडिशनर(AC), humidity fire और कुछ बेसिक LED Lights की जरूरत पड़ेगी.
इसके साथ ही कमरे को सेटअप करते समय अलमीरा और लकड़ी की रैक आदि का प्रबंध भी करना जरूरी है. इस लैब का सेटअप विस्तार से जानने के लिए यह पोस्ट जरूर पढ़ें- एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती कैसे करें.
कीड़ा जड़ी को घर उगाने के लिए लैब की लागत कितनी आ सकती है?
कीड़ा जड़ी मशरूम को घर पर उगाने के लिए घर के एक कम से कम 10X10 वर्ग फीट के कमरे 07 से 08 लाख रूपये का निवेश करने की आवशकता है.
लैब में कीड़ा जड़ी की फसल कितनी बार उगाई जा सकती है?
कृत्रिम तरीके से लैब में कीड़ा जड़ी को एक साल में 04 बार बड़ी ही आसानी से उगाया जा सकता है. चूँकि कीड़ा जड़ी का 01 फसल चक्र मात्र 03 महीनों का होता है, इसलिए आय की दृष्टी से कीड़ा जड़ी पूरी तरह से एक नकदी फसल में आती है.
व्यवसाय का पंजीकरण-
मौलिक तौर पर किसी भी प्रकार की कृषि के लिए आपको किसी भी तरह के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी, किन्तु यदि आप बाजार, औषधालय व वर्जिश केंद्र आदि स्थानों पर इसकी बड़े पैमाने पर बिक्री करना चाहते हैं, तो आपको सरकार द्वारा निर्धारित टैक्स आदि (GST No.) लेना जरूरी होता है.
वहीँ यदि आपकी दिलचस्पी कीड़ा जड़ी का एक्सपोर्ट में है तो आपको एक्सपोर्ट सम्बन्धी मानकों जैसे- IEC व Firm registration कराना आवश्यक है.
लैब में उगाई गई कीड़ा जड़ी से कितना मुनाफा बन सकता है?
न्यूनतम 10 x 10 sqft एरिया में स्थापित की गई लैब में प्रत्येक 03 महीने में लगभग 4.5 से 05 किलोग्राम (उच्च गुणवत्ता) तक की कीड़ा जड़ी का उत्पादन हो जाता है. जिसकी गुणवत्ता के मुताबिक बाजार भाव मिलता है.
मोटे तौर पर 03 महीने की 01 फसल से लगभग 10-12 लाख तक की कमाई हो जाती है. इसी प्रकार 01 साल की कमाई लगभग 40-45 लाख रूपये तक बड़ी ही सरलता से हो जाती है.
आम आदमी के लिए मशरूम की खेती करना कितना कठिन हो सकता है?
यह पूरी तरह से लगन, सीखने की ललक और लिए गए अनुभव/प्रशिक्षण पर निर्भर करता है. वैसे मशरूम की खेती करना बहुत ही सरल प्रक्रिया है, जिसे कोई भी बड़ी ही आसानी से कर सकता है साथ ही मुनाफा भी कमा सकता है.
लैब का रख-रखाव व प्रबंधन-
अमूमन अधिकतर नए उद्यमी अथवा किसान भाई लैब का रख-रखाव व प्रबंधन का पालन ठीक ढंग से नहीं करते हैं, जिसके कारण उन्हें वे परिणाम नहीं मिलते, जिनकी उन्हें चाह होती है. यहाँ कुछ तरीके सुझाए जा रहे हैं, जिन्हें अपना कर आप भी कीड़ा जड़ी की खेती में महारत हांसिल कर सकते हैं-
- लैब में जब भी जाये तो सर के बालों को विशेष तौर पर ढकना जरूरी है.
- आप चाहे तो मेडिकेटेड सूट (पूरे शरीर को ढकने के लिए) किसी मेडिकल स्टोर से ले सकते हैं.
- लैब में जाने से पूर्व हाथों और जूते-चप्पल को सैनिटाईज जरूर करें, यदि मशरूम को छूना जरूरी है तो मेडिकेटेड दस्तानों का ही इस्तेमाल करें.
- लैब में सफ़ेद लेकिन LED Lights का ही उपयोग करें, लैब में पूरी तरह से अँधेरा नहीं होना चाहिए.
- जब भी हार्वेस्टिंग करें तो हार्वेस्टिंग से पहले चाकू या ब्लेड को सैनिटाईज करना जरूरी है. हार्वेस्टिंग टूल्स को सैनिटाईज न करने की स्थिति में हार्वेस्ट की गई फसल 12 घंटो के अन्दर ख़राब हो सकती है.
कीड़ा जड़ी को विकसित/पुष्ट होने के लिए कितने डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है?
लैब में कीड़ा जड़ी की सफल खेती करने के लिए कम से कम 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है, जिसे एयर कंडिशनर व humidity fire के माध्यम से आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है.
कीड़ा जड़ी मशरूम का बीज कहाँ से मिल सकता है?
मौजूदा दौर इन्टरनेट का दौर है, कीड़ा जड़ी का बीज/स्पान खरीदने के लिए आप
indiamart.com, amazon.com आदि e-commerce वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं. इसके अलावा आप स्थानीय उत्पादक अथवा कृषि संसथान से संपर्क कर सकते हैं.
अंत में-
स्वास्थ्य की दृष्टी से मशरूम का सेवन करना (खाना) हमारे शरीर को स्वस्थ्य, सुन्दर और रोगमुक्त करने के साथ बेहतर बनाता है, प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वजो द्वारा इसका सेवन किया गया है जो आज की पीढ़ी के लिए भी एक महत्वपूर्ण घटक है, साथ ही भारत सहित पूरी दुनिया मशरूम को उसके गुणों के कारण उपयोग में ले रही है.
हमारा उद्देश्य सभी इच्छुक व्यवसायीयों, उद्यमियों, किसानों और खेती/कृषि प्रेमियों को बेहतर से बेहतर जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे अपनी कृषि योग्यताओं को बेहतर से बेहतरीन बना सके और अपने द्वारा तैयार की गई ऑर्गेनिक फसलें और औषधियों से लाभ उठा सकें.
आशा है आपको इस लेख “कीड़ा जड़ी मशरूम की खेती (Cordyceps Sinensis) से” कीड़ा जड़ी मशरूम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जरूर मिली होगी, साथ ही… यदि कुछ छूट गया हो या कुछ पूछना चाहते हों तो कृपया comment box में जरूर लिखें. तब तक के लिए-
“शुभकामनाएं आपकी कामयाब और सफल कृषि के लिए”
धन्यवाद!