मौसमी सब्जियां व फल (Grow Seasonal Vegetables): फ़रवरी का महिना गुजरते ही गर्मियां धीरे-धीरे दस्तक देना शुरू कर देती है. हमारा देश भारत! जहां 04 ऋतुओं का समावेश है, प्रत्येक ऋतु 03 महीने में पृथ्वी के घूर्णन के कारण स्वत: ही बदल जाती है. ऋतुएं बदलने के साथ-साथ हमारा खान-पान भी बदल जाता है.
यूं तो ठण्ड के मौसम में सब्जियों की ढेर सारी विवधता, बड़ी मात्रा में बाजारों में देखने को मिलती है, लेकिन वहीं यदि गर्मी के मौसम या गर्मी के सीजन की बात की जाए तो जितनी विविवधता होनी चाहिए उतनी देखने को नहीं मिलती,
अगर मिलती भी है तो वह बहुत ही सीमित अवधि के लिए ही होती है. जिस कारण इन सब्जियों का मूल्य महंगा हो जाता है और फिर लोग ऐसी सब्जियों को खरीदने में हिचकिचाने लगते हैं.
आर्गेनिक मौसमी सब्जियां व फलों का महत्व (Importance of organic seasonal vegetables and fruits)-
मौजूदा बाजार में जो सब्जियां बिक्री के लिए आती हैं, उनका उत्पादन व्यवसायिक कृषि के तहत किया जाता है. व्यवसायिक कृषि के तहत फसलों के अधितम उत्पादन के लिए केमिकल आधारित खाद जैसे- यूरिया, डी0ए0पी0 और पौधे में लगने वाले रोग आदि की रोकथाम के लिए जानलेवा कीटनाशकों (केमिकल्स) का उपयोग किया जाता है.
इन केमिकल आधारित फर्टिलाईज़र व कीटनाशकों के उपयोग से पौधे द्वारा उत्पन्न किये जाने वाले फल अथवा सब्जी की nutrition value भी कम हो जाती है. फल स्वरूप हमें अपने शरीर के पर्याप्त पोषण की पूर्ती करने के लिए दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है.
ऐसे में यदि आप आर्गेनिक सब्जियों का सेवन करना चाहते हैं, तो थोड़ा सा समय निकाल कर अपने घर पर बागवानी की शुरुआत करें. जहां आप आर्गेनिक सब्जियों (Organic Seasonal Vegetables) को आसानी से उगाकर उनका लुफ्त उठा सकते हैं.
साथ ही यदि आप प्रकृति प्रेमी (Nature Lovers) हैं और अपने द्वारा उगाए गए पौधों से फल/सब्जी खाना चाहते हैं तो आपके लिए किचन गार्डनिंग/टेरेस गार्डनिंग सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.
गर्मियों (मार्च से मई व मार्च से जुलाई तक) में आप इन बताई गई सब्जियों को अपने किचन गार्डेन में लगाते हैं तो आप निश्चित ही अपने द्वारा रोपित पौधों से आर्गेनिक सब्जियों का लाभ ले सकते हैं.
आप जानते ही हैं कि वर्तमान में मंहगाई की दर कितनी ऊँचाई पर जा चुकी है और जैसे-जैसे पृथ्वी के संसाधन कम होते जाएंगे मंहगाई की दर और बढ़ती जाएगी.
ऐसे में आप अपने किचन गार्डेन में उन सभी मौसमी सब्जियों (seasonal vegetables) को आसानी से उगाकर उन सब्जियों की सफल खेती कर सकते हैं, और सबसे बड़ी बात यह है कि किचन गार्डेन में उगाई गई सब्जियां पूरी तरह से आर्गेनिक होती हैं, जिनका सेवन करने से हमारे शरीर की तंदरुस्ती बनी रहती है और दिमाग भी तेज होता है. तो प्रश्न यह है कि गर्मियों में किन-किन सब्जियों को अपने किचन गार्डेन में सरलता से उगाया जा सकता है?
पत्तेदार व फूल वाली मौसमी सब्जियां (Leafy and flowering seasonal vegetables)-
गर्मियों के मौसम की शुरुआत में चौलाई व पालक तथा ढलती गर्मी में गोभी व ब्रोकली जैसी पत्तेदार व फूल वाली सब्जियों को लगाया जाता है. परन्तु यदि किचन गार्डेन के तहत गमले अथवा ग्रो बैग में पत्तेदार सब्जियों को लगाने की सोच रहे हैं तो किचन गार्डनिंग के तहत उगाई जाने वाली सब्जियों के बीजों पर ध्यान देना सबसे प्राथमिक चरण होता है.
किचन गार्डनिंग/टेरेस गार्डनिंग में सब्जी उगाने के लिए हमेशा उत्तम क्वालिटी के बीजों का चुनाव ही किया जाता है. पत्तेदार सब्जियां व seasonal vegetables उगाने की सूची नीचे दी गई है-
Name of Seasonal Vegetables | कब से कब तक लगायें | गमला/ग्रो बैग (ल० X चौ०) इंच में | |
चौलाई (हरी/लाल) | फ़रवरी से मार्च तक | 30 X 10 | |
पालक | फरवरी से मार्च (शेड में) | ||
पत्ता गोभी | अगस्त से सितम्बर तक | 12 X 12 | |
फूल गोभी | अगस्त से अक्टूबर तक | ||
ब्रोकली | अगस्त से अक्टूबर तक |
नोट- बताये गए पात्र/ग्रो-बैग में गोभी के एक ही पौधे का रोपण करना है.
सुझाव-
किचन गार्डेन में पत्तेदार सब्जियों की खेती करने के लिए शेड/बायोनेट जरूर लगाये विशेषकर पालक की खेती के लिए शेड अथवा बायोनेट जरूरी है क्योंकि तेज धूप को पालक का पौधा सहन नहीं कर पाता है. पालक को पनपने व अच्छी पैदावार देने के लिए 26 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल होता है.
मौसमी सब्जियों के लिए मिट्टी की तैयारी कैसे करें (How to prepare soil for seasonal vegetables)-
किचन गार्डेन के तहत गमलों अथवा ग्रो बैग में आर्गेनिक सब्जियों को उगाने के लिए विशेष तरह की मिट्टी तैयार करना जरूरी होता है. अपने किचन गार्डेन में पत्तेदार सब्जियों की सफल खेती के लिए नीचे बताई गई सामग्री की आवश्यकता होती है-
गार्डेन मिट्टी | 05 भाग | |
नदी की रेत | 02 भाग | |
कोकोपीट अथवा राईस हस्क | 01 भाग | |
वर्मी कम्पोस्ट | 02 भाग | |
नीम खली | 250 ग्राम | |
सरसों खली | 150 ग्राम | |
स्टोन पाउडर | 250 ग्राम |
उपरोक्त बताई गई सभी सामग्रियों को मिलाकर वांछित मिट्टी (soil media) को तैयार कर लेने के बाद पौधे का रोपण किया जाता है.
बीज वाली मौसमी सब्जियां (Seasonal Vegetables with Seeds)-
सब्जी का नाम | कब से कब तक लगायें | गमला/ग्रो बैग (ल० X चौ०) इंच में | |
भिंडी | फरवरी से मार्च | 12 X 12 | |
मिर्च | फरवरी से मार्च | ||
बैंगन | मार्च से जुलाई | 16 X 16 | |
टमाटर | मार्च से मई (शेड में) | ||
जुकिनी | जून से जुलाई | ||
लोबिया | जून से जुलाई |
नोट- बताये गए पात्र/ग्रो-बैग में सब्जियों के एक से दो पौधे का रोपण करना है.
गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियों की मिट्टी कैसे तैयार करें (How to prepare soil for summer grown vegetables)-
किचन गार्डेन के तहत गमलों अथवा ग्रो बैग में आर्गेनिक सब्जियों को उगाने के लिए विशेष तरह की मिट्टी तैयार करना जरूरी होता है. अपने किचन गार्डेन में पत्तेदार सब्जियों की सफल खेती के लिए ऊपर बताये गए घटकों की आवश्यकता होती है-
उपरोक्त बताई गई सभी सामग्रियों को मिलाकर वांछित मिट्टी (soil media) को तैयार कर लेने के बाद पौधे का रोपण किया जाता है. इस तैयार मिट्टी में गर्मियों में लगाई जाने वाली लगभग सभी तरह की सब्जियों व फलों की खेती अपने किचन गार्डेन में आसानी से की जा सकती है.
बेल वाली मौसमी सब्जियां (Vine Seasonal Vegetables)-
Vine Seasonal Vegetables names | कब से कब तक लगायें | गमला/ग्रो बैग (ल० X चौ०) इंच में | |
परवल | मध्य जुलाई से अक्टूबर | 15 X 15 | |
टिंडा | जून से जुलाई | ||
करेला | मई से जून | 18 X 18 | |
लौकी | मध्य जून से जुलाई | ||
कद्दू | जून से जुलाई | ||
तोरई (तोरी) | जून से जुलाई |
नोट- बताये गए पात्र/ग्रो-बैग में सब्जियों के एक ही पौधे का रोपण करना है.
गर्मियों में उगाए जाने वाले मौसमी फल (Summer seasonal fruits)-
फल का नाम | कब से कब तक लगायें | गमला/ग्रो बैग (ल० X चौ०) इंच में | |
तरबूज | मार्च से अप्रैल | 18 X 18 | |
खरबूज | मार्च से अप्रैल | ||
खीरा | फ़रवरी अंतिम से अप्रैल | ||
ककड़ी | फ़रवरी अंतिम से अप्रैल |
नोट- बताये गए पात्र/ग्रो-बैग में फलों के एक ही पौधे का रोपण करना है.
कीट नियंत्रण का प्रबंधन-
किचन गार्डनिंग/टेरेस गार्डनिंग के तहत समय-समय पर पौधों पर होने वाले कीटों पर नियंत्रण किया जाना घर पर सफल बागवानी के लिए सबसे जरूरी घटक है. अमूमन नए बागवानी प्रेमी कीट नियंत्रण के लिए मौजूदा बाजार में मिलने वाले खतरनाक कीट नाशकों का प्रयोग कर लेते हैं.
जो कि किचन गार्डनिंग/टेरेस गार्डनिंग के लिए पूरी तरह से सही नहीं है. पौधों को कीटों और उनके आक्रमण से बचाने के लिए जिस तरह के फर्टिलाइजर की आवश्यकता होती है, उसे बड़ी ही सहजता और आसानी से घर पर बनाया जा सकता है.
नीम का तेल! एक ऐसा घटक है, जो लगभग हर जगह पर आसानी से मिल जाता है. “01 लीटर शुद्ध जल में अधिकतम 10ml नीम का तेल मिलाकर पौधों पर छिडकाव करने से पौधे को हानि पहुचाने वाले कीटों से निजात पाई जा सकती है.”
इसके अलावा समय-समय पर जब भी गुड़ाई आदि का काम करें तो 01-02 मुट्ठी नीम खली पौधे की जड़/मिट्टी में अवश्य मिला दें, नीम खली मिलाने से एक तरफ आपके पौधे को जरूरी पोषक तत्व मिलेंगे, वहीं दूसरी ओर मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी और परजीवियों से राहत भी मिल जाएगी.
सीधी धूप (झुलसा देने वाली गर्मी) से पौधों को कैसे बचाया जाए?
गर्मियों के मौसम में सबसे बड़ी चुनौती होती है कि झुलसा देने वाली गर्मी से पौधों को कैसे बचाया जाए. किचन गार्डनिंग/टेरेस गार्डनिंग के तहत झुलसा देने वाली गर्मी से पौधों को बचाने के लिए सबसे उत्तम उपाय है कि पौधों को शेड में रखना.
देखिये! हमारे देश भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह का मौसम तापमान के मुताबिक देखने को मिलता है. तापमान की इस अनिश्चितता को नियंत्रित करने के दृष्टिगत सफल किचन गार्डनिंग/टेरेस गार्डनिंग करने के लिए ग्रीन शेड नेट (बायोनेट-Bionet) से बना शेड एक बेहतर विकल्प में से एक है. तो अब प्रश्न उठता है कि-
झुलसा देने वाली गर्मी से पौधों को बचाने के लिए किस तरह के ग्रीन शेड नेट की आवश्यकता होती है?
घर पर अथवा घर की छत पर सफल बागवानी करने के लिए 50% UV स्टैबिलाइज्ड (अल्ट्रा वायलेट रेज़िस्टेंट) शेड नेट, ग्रीन सन मेश शेड, सनब्लॉक शेड, ग्रीन नेट, नेट (बायोनेट-Bionet) की आवश्यकता होती है.
ग्रीन शेड नेट (बायोनेट-Bionet) | 50% अल्ट्रा वायलेट रेज़िस्टेंट |
मौसमी सब्जियां उगाने के लिए पानी का प्रबंधन-
गर्मियों में खेती करना अधिकतर नए गार्डेनर्स के लिए थोड़ा चुनौती पूर्ण हो सकता है, लेकिन यदि चरण बद्ध तरीके से किया जाए तो गर्मियों में अपने किचन गार्डेन/टेरेस गार्डेन में seasonal vegetables उगाने में सफलता बहुत ही आसानी से पाई जा सकती है.
गर्मियों में की वाली खेती की सबसे बड़ी समस्या है पौधों को संतुलित पानी देना. तपती सूरज की गर्मी पौधे की मिट्टी से पानी को निचोड़ लेती है, जिस कारण पौधे को जीवित रहने के लिए बहुत ही कठिन परिस्थितयों का सामना करना पड़ता है.
ऐसे में यदि समय से पौधे को पानी न दिया जाए तो हमारा पौधा मर भी सकता है, जिससे हमारा सफल किचन गार्डनिंग का सपना भी बिखर सकता है. तो अब प्रश्न उठता है कि पौधे की मिट्टी में नमी कैसे बरक़रार रखी जाए और इसका उपाय क्या है? देखिये! पौधों को संतुलित पानी देने के 02 उपाय आसानी से किये जा सकते हैं-
- स्वयं मग अथवा फव्वारे से पानी दें (जिसमें आंशिक रूप से असंतुलन की सम्भावना बनी रहती है)
- ड्रिप सिस्टम का प्रयोग कर संतुलित पानी दें. (प्रत्येक पौधे के लिए निजी ड्रिप कोन (ड्रिप इरिगेशन किट) का प्रयोग करें)
प्लास्टिक वाटर कैन | 05 लीटर क्षमता | |
ड्रिप इरिगेशन किट |
पौधों की कटाई/छटाई/प्रूनिंग-
किचन गार्डनिंग अथवा टेरेस गार्डनिंग के तहत पौधों से भरपूर मात्रा में फल व फूल लेने के लिए पौधों की प्रूनिंग करना सबसे अहम भूमिका अदा करती है. प्रूनिग से जहां एक तरफ पौधे की ग्रोथ को मनवांछित आकार में विकसित किया जा सकता है.
वहीं कटिंग/प्रूनिंग से पौधे पर नई शाखाएं आती हैं, जिससे बड़ी मात्रा में पौधे पर फल अथवा फूल आने की सम्भावना बढ़ जाती है. अब यहां प्रश्न उठता है कि-
टेरेस अथवा किचन गार्डनिंग के तहत पौधों पर कितने प्रकार की कटिंग या प्रूनिंग की जाती है?
अमूमन टेरेस अथवा किचन गार्डनिंग के तहत मौसमी पौधों की अच्छी ग्रोथ व बड़ी मात्रा में फल अथवा फूल प्राप्त करने के लिए पौधों पर 03 प्रकार की कटिंग या प्रूनिंग ही की जाती है-
1. बंजी कटिंग
2. 2G कटिंग और
3. 3G कटिंग
नोट-
- कटिंग टूल को पहले से ही सैनिटाईज कर लें. यह कटिंग/प्रूनिंग प्रत्येक पौधे के लिए अलग-अलग होती है और अलग-अलग समय पर की जाती है.
- जब भी पौधे की प्रूनिंग करें, तो उसकी मिटटी/जड़ में कम्पोस्ट और नीम खली डालना जरूरी है क्योंकि कटिंग से पौधे पर परजीवियों के आक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
- इन कटिंग के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस पोस्ट को देखें- “किचन गार्डन में लौकी की सफल खेती कैसे करें.”
अंत में-
स्वास्थ्य की दृष्टी से केमिकल रहित सब्जियां खाना हमारे शरीर को बेहतर बनाता है और किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग के तहत मौसमी सब्जियां (seasonal vegetables) तैयार करना भी थोड़ी देख-रेख के बाद आसानी से हो जाता है. यदि आप चाहते/चाहती हैं कि आप भी ऑर्गेनिक सब्जियों का लुफ्त उठा पाएं तो अपने किचन गार्डेन या टेरेस (छत) गार्डेन में इन्हें जरूर उगाएं.
हमारा उद्देश्य सभी किचन गार्डनिंग व टेरेस गार्डनिंग (बागवानी) प्रेमियों को बेहतर से बेहतर जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे अपनी बागवानी योग्यताओं को बेहतर से बेहतरीन बना सके और अपने द्वारा तैयार की गई ऑर्गेनिक सब्जियों से लाभ उठा सकें.
आशा है आपको इस लेख “किचन गार्डेन में लगाये मौसमी सब्जियां व फल (Grow Seasonal Vegetables and Fruits in your Kitchen Garden)” से किचन व टेरेस गार्डनिंग के तहत मौसमी सब्जियों व फलों की खेती (organic seasonal vegetables and fruits farming) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जरूर मिली होगी.
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“शुभकामनाएं! आपकी कामयाब और सफल बागवानी के लिए”
धन्यवाद!