अभी हाल ही में गोबर से पेंट (प्राकृतिक/वैदिक पेंट) बनाने की तकनीक को विकसित किया जा चुका है. खादी ग्रामोद्योग द्वारा निर्मित यह पेंट अष्ट लाभ से युक्त है.

भारत को आत्मनिर्भर बनाने की राह में यह एक कदम है जो ग्रामीणों/किसानों की आमदनी व रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से KVIC द्वारा विकसित किया गया है

प्राकृतिक पेंट बनाने की तकनीक जब से विकसित हुई है, तब से बाजार में यह धूम मचा रही है, और सबसे बड़ी बात गोबर से बना पेंट की अन्य पेंट की अपेक्षा काफी सस्ता भी है.

गोबर से पेंट बनाने के लिए गाय का गोबर, चूना, टाइटेनियम डाइऑक्साइड, सोडियम हाइड्रोक्साइड, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, पेंट बाईंडर, प्राकृतिक तेल, रंग, थिक्नर व गोंद की जरूरत होती है.

वैदिक पेंट बनाने के लिए Refiner, Twin Shift, Pug Mill,Beed Mill, Filling Machine, Weighing Machine के साथ Packaging Items आदि की आवश्यकता होती है.

कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टिट्यूट(KVIC), जयपुर में वैदिक पेंट निर्माण विधि सिखाने के लिए 05-07 दिनों की कार्यशाला आयोजित की जाती है

वैदिक पेंट बनाने की फैक्ट्री का सफल संचालन करने के लिए कम से कम 05 से 12 कुशल कर्मियों की आवश्यकता होती है

गोबर से इमल्शन व डिस्टेम्पर पेंट निर्माण व्यवसाय/बिजनेस स्थापित करने के लिए कम से कम 12 से 15 लाख रुपये लागत धनराशी की आवश्यकता होती है

छोटे स्तर पर सुचारू रूप से स्थापित व संचालित करने के लिए कम से कम 500 से 700 sqft स्थान/जगह की आवश्यकता होती है.

डिस्टेंपर पेंट में मुनाफा 55 से 65 रुपये प्रति किलोग्राम की दर तक व इमल्शन पेंट में मुनाफा 135 से 140 रुपये प्रति लीटर की दर तक आसानी से कमाया जाता है.