बड़े-बड़े खेत-खलिहानों से निकलकर बेहद कम जगह और कम खर्च में खेती करके अच्छी आमदनी कमा रहे हैं

मशरूम से मुनाफे तक

वैज्ञानिक तरीके की जाने वाली मशरूम की खेती आज युवा किसानों की आमदनी का नया जरिया बन चुका है

मशरूम की वैज्ञानिक खेती

मशरूम की खेती के लिये एक अंधेरा कमरा, मशरूम स्पॉन/बीज, धान की पुआल, भूसी या गन्ना की खोई की आवश्यकता होती है.

10 लीटर पानी में 10 ग्राम वेबिस्टीन और 5 मिली फार्मलीन दवा को घोलकर धान की पुआल, भूसी या गन्ना की खोई पर स्प्रे कर उपचारित किया जाता है.

16 घंटे बाद उपचारित भूसे से अतिरिक्त पानी निकाल कर अच्छी तरह से सुखाकर मशरूम की खेती के लिए तैयार हो जाता है

मशरूम की खेती के लिये 80 से 90% तक नमी वाले भूसे की जरूरत होती है, बेहतर उत्पादन के लिये भूसी को पर्याप्त सुखाना जरूरी है

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01 किलोग्राम उपचारित भूसी में मशरूम का कम से कम 50 ग्राम बीज पीपी बैग या पॉलीबैग में डालकर उगाया  जाता है

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अंकुरण के लिये अंधेरे कमरे में 2 से 3 सप्ताह तक 28 से 38 डिग्री तक तापमान व नमी का स्तर 80-90 प्रतिशत तक होना जरूरी है

लगभग 03 दिन बाद ही मशरूम का बैग मशरूमों से भर जाता है, 50 ग्राम तक बीज डालकर 1 किलोग्राम तक मशरूम लिया जा सकता है.

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मशरूम की लंबाई 5 से 7 सेंटीमीटर पहुंचने पर इसकी तुड़ाई/कटाई कर बिक्री के लिए अथवा उपयोग में लिया जा सकता है.