बढ़ती जनसंख्या के कारण मानव जीवन और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का जो संतुलन है वह काफी हद तक बिगड़ गया है

कम लागत में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का सबसे सफल तरीका है कि वर्मी कम्पोस्ट को चरणबद्ध तरीके से छोटे स्थान पर शुरू किया जाए.

वर्मी कम्पोस्ट खाद को बनाते समय वातावरण का तापमान 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक नहीं होना चाहिए

वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए गोबर, पत्तियां, फसल के अवशेष, रसोई व बगीचे से निकलने वाला जैविक कचरा आदि की आवश्यकता होती है.

एपीजेईक, एंडोजैईक, ऐनेसिक व आइसीनिया फोटिडा प्रजाति के केचुए वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए उपयोग में लिए जाते हैं.

वर्मी कम्पोस्ट खाद को बनाते समय किसी भी प्रकार के रसायन या कीटनाशक के छिड़काव से बचना जरूरी होता है, छिडकाव से वर्म मर सकते हैं.

मिट्टी में किसी भी प्रकार के पत्थर, कांच, प्लास्टिक या धातु के टुकड़े नहीं होने चाहिए, इनके होने से केचुआ/वर्म पनप नहीं पाता है.

बेड विधि से कम्पोस्ट तैयार करने के लिए ग्रो बैग्स जो कम से कम 15 फुट लम्बाई X 3 फुट चौड़ाई X 3.50 फुट ऊँचा हो

03 हफ्तों से लेकर 03 महीनों में वर्मी कम्पोस्ट/खाद बनकर तैयार हो जाती है. वर्मी कम्पोस्ट भूमि से रसायनिक उर्वरकों के विषैले प्रभाव को कम करती है

वर्मी कम्पोस्ट प्लांट से तीन तरीको से मुनाफा कमाया जाता है- 1. वर्मी कम्पोस्ट खाद बेचकर, 2. वर्मीवाश का विक्रय कर व 3. बढ़े केचुओं का विक्रय कर